Book Title: Prakrit Hindi kosha
Author(s): K R Chandra
Publisher: Prakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad

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Page 843
________________ ८२४ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष सयरहं-सरड सयरहं देखो सयराहं। सर पुन शिर] बाण । तृण-विशेष । छन्दसयरा देखो सक्करा। विशेष । पाँच की संख्या । पण्णी स्त्री सयराहं । अ [दे] शीघ्र । युगपत् । | [पर्णी] मुञ्ज का घास । °पत्त न [पत्र सयराहा । अकस्मात् । अस्त्र-विशेष । °पाय न [°पात] । °सण पुन सयरि देखो सत्त-रि = सप्तति । [सन] धनुष । °ासणपट्टी, सणवट्टिया सयरी स्त्री [शतावरी] शतावर का गाछ । स्त्री [°ासनपट्टी, °ासनपट्टिका] धनुर्यष्टि । सयल न [शकल] खंड, टुकड़ा। धनुष खींचने के समय हाथ की रक्षा के लिए सयल न [सकल] संपूर्ण । सब । °चंद पुं| बाँधा जाता चर्मपट्ट । °सरि न ["शरि] ['चन्द्र] 'श्रुतास्वाद' का कर्ता एक जैन | बाण-युद्ध । मुनि । °भूसण पुं [भूषण] एक केवलज्ञानी सर [स्मर] कामदेव । मुनि । देश पुं [°ादेश] सर्वापेक्षी वाक्य, सर वि. गमन-कर्ता । प्रमाणवाक्य । सर पुं स्वर] 'अ' से 'औ' तक के अक्षर । सयलि पुं [शकलिन्] मछली । गीत आदि की ध्वनि, आवाज, नाद । स्वर सयहत्थिय वि [सौवहस्तिक] स्व-हस्त से | के अनुरूप फलाफल को बतानेवाला शास्त्र । उत्पन्न । न. शस्त्र-विशेष । सर पुन [सरस्] तड़ाग। पंति स्त्री सयाचार देखो स-याचार = सदाचार । [°पङ्क्ति ] तड़ाग-पद्धति । रुह न. कमल । सयाचार देखो सआ-चार = सदा-चार । °सरपंतिया स्त्री ['सरःपङ्क्ति] श्रेणि-बद्ध सयाण देखो स-याण = स-ज्ञान । अनेक तालाब। सयालि पुं [ शतालि ] भारतवर्ष के भावी | सर देखो सरय = शरद् । °दिंदु पुं [°इन्दु] अठारहवें जिनदेव का पूर्वजन्मीय नाम । देखो शरद् ऋतु का चन्द्र । भयालि। सरऊ स्त्री [सरयू] नदी-विशेष । सयालु वि [शयालु] सोने की आदतवाला, सरंग (अप) पुं [सारङ्ग] छन्द-विशेष । आलसी । सरंब पुं शरम्ब] हाथ से चलनेवाली सर्पसयावरी स्त्री [सदावरी] त्रीन्द्रिय जन्तु की जाति । एक जाति । सरक्ख सक [ सं+ रक्ष् ] अच्छी तरह रक्षण सयावरी देखो सयरी- शतावरी । करना। सयास देखो सगास = सकाश । सरक्ख वि [सरजस्क, सरक्ष] शैव-धर्मीसयासव वि [शताश्रव, सदाश्रव] सूक्ष्म - शिव-भक्त, भौत । वि. रजो-युक्त । छिद्रवाला। सरक्ख पुंन [ सद्रजस् ] धूलि, रज । सय्यं देखो सज्ज = सद्यस् । भस्म । सय्यंभव देखो सज्जंभव । सरग देखो सरय = शरक । सय्ह देखो सज्झ = सह्य । सरग वि [शारक] शर-तृण से बना हुआ सर सक [स] सरना, खिसकना । अवलम्बन ( शूर्प आदि)। करना । अनुसरण करना । सरग्गिका (अप) स्त्री [सारङ्गिका] छन्दसर सक [स्म] याद करना । विशेष । सर सक [ स्वर् ] आवाज करना । सरड पुं [सरट] कृकलास, गिरगिट । For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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