Book Title: Prakrit Hindi kosha
Author(s): K R Chandra
Publisher: Prakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad

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Page 864
________________ सिढिलोकय-सिद्धत्थ कराया हुआ । सिढिलीकय वि [शिथिलीकृत ] शिथिल किया हुआ । सिढिलीभूय वि [ शिथिलीभूत ] शिथिल बना संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष हुआ सिण देखो सण = शण । सिणगार देखो सिंगार = शृङ्गार | सिणा अक [ स्ना] नहाना । अवगाहन करना । सिणाउ पुंस्त्री [ स्नायु ] वायु वहन करनेवाली नाड़ी | सिणात देखो सिणाय = स्नात । सिणाय देखो सिणा । सिणाय सिणायग वि [ स्नात, 'क] प्रधान, श्रेष्ठ । केवलज्ञान प्राप्त मुनि, केवली सिणायय भगवान् । बुद्ध शिष्य, बोधि सत्त्व । सिणाव सक [स्नपय् ] स्नान करना । सिणि स्त्री [सृणि] अंकुश । सिणिज्झ सक [स्निह ] प्रीति करना । सिद्धि व [ स्निग्ध] प्रीति-युक्त । आर्द्र, रसयुक्त | मसृण, कोमल । चिकना । न. भात कामाँड़ । सिणेह देखो सह । सिणेहालु वि [स्नेहवत् ] स्नेहवाला । सिण व [स्विन्न] स्वेद-युक्त । सिण्ण [शीर्ण] जीर्ण, गला हुआ । सिन्ह पुंन [ शिश्न ] पुरुष लिंग । सिन्हा स्त्री [दे] हिम । अवश्याय, कुहरा । सिहालय पुंन [दे] फल-विशेष | सिति देखो सिइ = (दे) | सित्त वि [ सिक्त ] सींचा हुआ । सित्तुंज देखो सेत्तुं । सित्थ न [ दे] धनुष की डोरी । सित्थ न [ सिक्थ] धान्य-कण | मोम । ओषधि विशेष, नीली, नील । पुंन कवल, ग्रास । सित्था स्त्री [दे] लाला । धनुष को डोरी । सित्थि पुं [दे] मत्स्य | Jain Education International ८४५ सिद्ध व [दे] परिपाटित, विदारित । सिद्धवि [ सिद्ध] मुक्त, निर्वाण प्राप्त । निष्पन्न बना हुआ । पका हुआ । शाश्वत । प्रतिष्ठित, लब्ध- प्रतिष्ठ । निश्चित निर्णीत । विख्यात, साध्य - विलक्षण शब्द - विशेष । साबित किया हुआ । प्रतीत, ज्ञात । पुं. विद्या, मंत्र, कर्म, शिल्प आदि में जिसने पूर्णता प्राप्त की हो वह पुरुष । समय परिमाण - विशेष, स्तोक-विशेष | न. लगातार पनरह दिनों के उपवास । पुंन. महाहिमवंत आदि अनेक पर्वतों के शिखरों का नाम | 'क्खर पुंन[क्षर ] 'नमो अरिहंताणं' यह वाक्य | गंडिया स्त्री [गण्डिका ] सिद्ध-संबन्धी एक ग्रन्थ- प्रकरण | "चक्क न [" चक्र ] अर्हन् आदि नव पद । न्न न [न] पकाया हुआ अन्न । [[पुत्त ] पुं [° पुत्र ] जैन साधु और गृहस्थ के बीच की अवस्थावाला पुरुष | 'मणोरम [ मनोरम | पक्ष का दूसरा दिन । राय पुं [राज] बारहवीं शताब्दी का गुजरात का सिद्धराज जयसिंह वाल पुं [पाल ] । बारहवीं शताब्दी का गुजरात का एक जैन कवि | सेण पुं [°सेन] एक प्राचीन जैन महाकवि और तार्किक आचार्य । सेणिया स्त्री [श्रेणिया] बारहवें जैन अंग-ग्रन्थ का एक अंश | [°सेल] पुं [°शैल] शत्रुञ्जय पर्वत, जैन महातीर्थ । हेम न [म] आचार्य हेमचन्द्र का व्याकरण-ग्रन्थ । सिद्धंत पुं [ सिद्धान्त ] आगम, शास्त्र । निश्चय । सिद्धत्थ पुं [दे] रुद्र, देव-विशेष | सिद्धत्थ वि[सिद्धार्थ ] कृतार्थ । पुं. भ० महावीर के पिता । ऐरवत वर्ष के भावी दूसरे जिनदेव | एक जैन मुनि, नववें बलदेव के दीक्षा गुरु । वृक्ष - विशेष । सरसों । भ० महावीर के कान से कील निकालनेवाला वणिक् । एकदेव विमान । यक्ष - विशेष । पाटलिसंड नगर का एक राजा । एक गाँव । पुरन. अंग देश का एक For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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