Book Title: Prakrit Hindi kosha
Author(s): K R Chandra
Publisher: Prakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad

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Page 889
________________ ८७० संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष सुलिया-सेउ सूलिया स्त्री [शूलिक] शूली ( वध्य के | जैन, एक संप्रदाय । लिए )। सेअ वि [एष्यत्] आगामी, भविष्य । °ाल पुं सूव पुं [सूप] दाल । °ार, °ार पुं | कार | [°काल] भविष्यकाल । रसोइया । सेअंकर पुं[श्रेयस्कर] ज्योतिष्क ग्रह-विशेष । सूस अक [शुष् ] सूखना सेअंकार पुं [श्रेयस्कार] श्रेयःकरण, 'श्रेयस्' सूसर वि [सुस्वर] सुन्दः आवाजवार । न. का उच्चारण । नामकर्म का एक भेद । 'परिवादिर्ण स्त्री सेअंबर पुं [श्वेताम्बर] एक जैन संप्रदाय । ['परिवादिनी] एक त ह की वीणा न. सफेद वस्त्र । स्सास वि [सोच्छ्वास] वं श्वासवा ।। सेअंस {श्रेयांस] एक राज-कुमार । चतुर्थ सूसिय वि [शोषित] सुरु या हुआ। वासुदेव तथा बलदेव के पूर्व जन्म के धर्मसूसुअ वि [सुश्रुत] अच्छ तरह सुना हुआ। गुरु । देखो सेज्जंस। मच्छी तरह ज्ञात । पुं. द्यक ग्रन्थ-विशेष । सेअंस देखो सेअ = श्रेयस् । सूहअ । देखो सुभग। सेअण न [सेचन] सेक, सीचना । वह पु सहव । ["पथ] नीक । से अ [दे] इन अर्थों क सूचक अाय ---- सेअणग , पुं [सेचनक] राजा श्रेणिक का वाक्य का उपन्यास । प्रन । प्रस्तुत वस्तु | सेअणय ) एक हाथी । वि. सींचनेवाला । का परामर्श । अनन्तरता । देखो सेचणय। से । अक [शी] सोनः । सेअविय वि [सेवनीय] सेवा-याग्य । सेअ । सेअविया स्त्री [श्वेतविका] केकया देश को से देखो सेअ = श्वेत । वड पुं [ 'पट ] प्राचीन राजधानी। श्वेताम्बर जैन। सेआ स्त्री [श्वेतता सफेदपन । सेअ सक [सिच्] सोंचना सेआ देखो सेवा। सेअ पुं दे] गणपति । सेआल देखो सेवाल = शैवाल । सेआल देखो सेअल = एष्यत् काल । सेअ ' [सेय] कर्दम, काँद , पंक। एक अधम मनुष्य-जाति । सेआल पुं [दे] गाँव का मुखिया । सांनिध्य सेअ पुं [स्वेद] पसीना। करनेवाला यक्ष आदि । कृषक । सेअ सेक] सेचन, सोंचना । सेआली स्त्री [दे] दूर्वा, दूब, दूभ । सेअ न [श्रेयस्] शुभ ।। म । मुक्ति । वि. | सेआलुअ पुं [दे] मनौती की सिद्धि के लिए अति प्रशस्त । पुं. अहोराः का दूसरा गहूर्त । उत्सृष्ट बैल । सेअ वि [सैज] सकम्प, का प-युक्त । | सेइअ न [स्वेदित] पसीना । सेअ वि [श्वेत] सफेद ।। कुभंड-निकाय के | सेइआ ) स्त्री [सेतिका] परिणाम-विशेष. दक्षिण दिशा का इन्द्र । क्र की नट सेना का | सेइगा । दो प्रसृति की एक नाप । अधिपति । भ० महावीर के पास दाक्षित सेउ पुन सेतु] पुल। कियारी, थांवला । आमलकल्पा नगरी का राजा। °कंठ पं| कियारी के पानी सींचने-योग्य खेत । मार्ग । [°कण्ठ] भूतानन्द इन्द्र के महिष-सैन्य का बंध पुं [°बन्ध] पुल बाँधना। वह पुं अधिपति । °पड, °वड : [पट] श्वेताम्बर | [ पथ] पुलवाला मार्ग । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org:

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