Book Title: Prakrit Hindi kosha
Author(s): K R Chandra
Publisher: Prakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad

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Page 887
________________ ८६८ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष सुहिल्लिया-सूमाले लज्जालु। । [गृह] प्रसूतिगृह । सुहिल्लिया देखो सुहेल्लि । सूइ स्त्री [सचि] देखो सई। सुही वि [सुधी] पंडित। सूइअ वि [सूचित] जिसकी सूचना की गई हो सुहुम वि [सूक्ष्म] बारीक । तीक्ष्ण । पुं. भारत वह । उक्त । व्यञ्जनादि-युक्त । वर्ष के एक भावी कुलकर । एकेन्द्रिय जीव- सूइअ वि [सूत] प्रसूत, ब्यायी हो वह । विशेष । न. कर्म-विशेष । °संपराग, सूइअ पुं[सूचिक] दरजी । °संपराय पुन. चारित्र-विशेष । दशौं गुण- सूइअ पुं [दे] चण्डाल । स्थानक । देखो सण्ह, सहम = सूक्ष्म । सूइय न [सुप्त] निद्रा। सुहेल्लि स्त्री [दे. सुखकेलि] सुख, आनन्द । सूइय वि [दे सूप्य, सूपिक] भीजा हुआ सुहेसि वि [सुखैषिन् ] सुखाभिलाषी । (खाद्य)। सू अ. निन्दा सूचक अव्यय । सूइया स्त्री [सूतिका] प्रसूति-कर्म करनेवाली। सूअ सक [सूचय ] सूचना करना। जानना । सूई स्त्री [सूची] कपड़ा सीने की सलाई, लक्ष करना। सूई । परिमाण-विशेष, एक अंगुल लम्बी एक सूअ पुं [सूद] रसोइया । प्रदेशवाली श्रेणी। दो तस्तों को जोड़ने के सूअ पुं[सूत] सारथि । वि. प्रसूत । °गड पुन काम में आती एक तरह की पतली कोल । [°कृत] दूसरा जैन अंग-ग्रन्थ ।। "फलय न [°फलक] तख्ते का वह हिस्सा, सूअ पुं [शूक] धान्य का तीक्ष्ण अग्र भाग । जहाँ सूची कोलक लगाया गया हो । °मुह पुं सूअ वि [शून] फूला हुआ, सूजनवाला । [°मुख पक्षि-विशेष । द्वीन्द्रिय जन्तु की एक सूअ पुं [सूप] दाल । 'गार, "यार, पर पुं जाति । न. जहाँ सूची-कीलक तख्ते का छेद [°कार] रसोइया । आरिणी स्त्री कर भीतर घुसता है उसके समीप की जगह । [कारिणी] रसोई बनानेवाली स्त्री। सूई स्त्री [दे] मंजरी। सूअ देखो सुत्त = सूत्र । °गड पुंन [°कृत] सूई देखो सूइ = सूति । दूसरा जैन अंग-ग्रन्थ । सूड सक [भञ्ज, सूद्] भांगना, तोड़ना, सूअअ । वि [सूचक] सूचना करनेवाला । विनाश करना। सूअग , पुं. पिशुन, खल, दुर्जन । जासूस । सूण वि [शून] सूजा हुआ, सूजन से फूला सूअग । न [सूतक] जनन और मरण की हुआ। सूअय । अशुद्धि। सूण' । स्त्री [सूना] वध-स्थान । 'वइ पुं सूअर पुं शूकर] वराह । °वल्ल पुं. अनन्तकाय वनस्पति-विशेष । सूणा , [°पति] कसाई । सूअरिअ वि [दे] यन्त्र-पीड़ित । सूणिय वि [शनिक] सूजन का रोगवाला । न. सूअरिया । स्त्री [दे] यन्त्र-पीड़ना । सूजन । सूअरी । सूणु [सूनु] पुत्र । सूअल न [दे] किशारु, धान्य का तीक्ष्ण अग्र- सूतक देखो सूअय = सूतक । भाग। सूप देखो सूअ = सूप । सूआ स्त्री [सूचा] सूचना । °कर वि. सूचक । सूभग देखो सुभग। सूआ , स्त्री [सूति] प्रसव, जन्म । °कम्म सूभग देखो सोभग्ग । सूइ । न [°कर्मन्] प्रसव-क्रिया । °हर न सूमाल देखो सुउमाल । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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