Book Title: Prakrit Hindi kosha
Author(s): K R Chandra
Publisher: Prakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad

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Page 885
________________ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष सुसंमिअ-सुह अच्छी तरह ग्रहण किया हुआ । क्षेत्र की एक राजधानी। ससंमिअ वि [ससंभृत] अच्छी तरह संस्कृत । सुसील न [सुशील] उत्तम स्वभाव । वि. ससंवअ ) वि (ससंवत] परिगत, व्याप्त । उत्तम स्वभाववाला, सदाचारी । °वंत वि सुसंवुड , अच्छी तरह पहना हआ। [°वत्] सदाचारी। जितेन्द्रिय । रुका हुआ। | सुसु पुं [शिशु] बच्चा । °मार पुं. जलचर सुसंहय वि [सुसंहत] अतिशय संश्लिए । प्राणी की एक जाति, महिषाकार मत्स्य. सुसण्णप्प वि [सुसंज्ञाप्य] सुख-बोध्य । विशेष । 'मारिया स्त्री [°मारिका] वाद्यसुसद्द वि [सुशब्द] सुन्दर आवाजवाला । विशेष । देखो सुंसुमार। प्रसिद्ध । सुसुज्ज पुंन [सुर्य] एक देव-विमान । सुसमदुस्समा । स्त्री [सुषमदुष्षगा] अव सुसमार पुं. जलचर जन्तु की एक जाति । सुसमदूसमा सर्पिणी-काल का तीसरा देखो सुसु-मार। और उत्सर्पिणी का चौथा आरा।। सुसुर देखो ससुर सुसमससमा स्त्री [सुष मसुषमा] अवसर्पिणी सुसहंकर पुं [सुशुभकर छन्द का एक भेद । का पहला और उत्सर्पिणी का छठवां आरा। | सुसूर न. एक देव-विमान । सुसमा स्त्री [सुषमा] अवसर्पिणी का दूसरा सुसेण पुं [सुषेण] सुग्रीव का श्वसुर । एक और उत्सर्पिणी का पचवाँ आरा । छन्द मंत्री। भरत चक्रवर्ती का मन्त्री । सुसेणा स्त्री [सुषेणा] एक बड़ी नदी । विशेष । ससोह वि सिशोभ] अच्छी शोभावाला । सुसर पुन सुस्वर) क देव-विमान । न. नामकर्म का एक भेद। देखो सुस्सर, सुसूर । सुस्स अक [शुष् ] सूखना । सुसा स्त्री [स्वसृ] बहिन । | सुस्समण पुं [सश्रमण] उत्तम साधु । सुस्सर वि [सुस्वर] सुन्दर आवाजवाला। सुसा देखो सुण्हा = स्नु । देखो सुसर। सुसागर पुन. एक देव- मान । सुसाण न [श्मशान मुर्दाघाट । सुस्सरा स्त्री [सुस्वरा] गीतरति तथा गीतयश सुसाय वि [सुस्वाद] सादिष्ठ । नाम के गन्धर्वेन्द्रों की एक-एक अग्रमहिषी। सुसाल पुंन [सुशाल] एक देव-विमान । सुस्सार वि [सुसार] सार-युक्त । सुसावग ) पुं [सुश्रावक] अच्छा श्रावक- सुस्सावग) देखो सुसावग। सुसावय , जैन गृहस्थ । सुस्सावय) सुसाहय देखो सुसंहय। सुस्सील देखो सुसील। सुसिअ वि [शुष्क] सूखा हुआ । सुस्सुय देखो सूसुअ। सुसिअ वि [शोषित] सुखाया हुआ। सुस्सुयाय अक [सुसुकाय, सूत्कारय् ] सु-सु सुसित्थ देखो सुत्थ = रास्थ्य । आवाज करना, सूत्कार करना । सुसिर वि [शुषिर] पोला, खाली। एन. एक | सुस्सू स्त्री [श्वथू] सासू । देव-विमान । सुस्सूस सक [शुश्रूष् ] सेवा करना । सुसीम न. नगर-विशेष । सुस्सूमअ वि [शुश्रुषक] सेवा करनेवाला । सुसीमा स्त्री. भ० पद्मप्रभ की माता । कृष्ण सुह देखो सोह = शुभ् ।। वासुदेव की एक पत्नी। वत्स नामक विजय- | सुह सक [सुखय्] सुखी करना । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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