Book Title: Prakrit Hindi kosha
Author(s): K R Chandra
Publisher: Prakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad

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Page 884
________________ सुवँर । सुवण्णविदु-सुसंपरिग्गहिय संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष सुवण्णविंदु पुं [दे] विष्णु। सुविसाय पुंन [सुविसात] एक देव-विमान । सुवण्णिअ वि [सौवणिक] सुवर्ण-मय, सोने सुविहाणा स्त्री [सुविधाना] विद्या-विशेष । का बना हुआ । सुविहि पुं [सुविधि] नववाँ जिन भगवान् । सुवत्त देखो सुव्वत्त । पुंस्त्री. सुन्दर अनुष्ठान । न. रामचन्द्र तथा सुवन्न न [सुवर्ण] सोना । वि. सुन्दर अक्षर लक्ष्मण का एक यान । वाला । °कुमार पुं. भवनपति देवों की एक सुविहिअ वि [सविहित] सदाचारी। जाति । कलप्पवाय पं [कलप्रपात सुवार पु. यदुराज का एक पौत्र । पंन, एक ह्रद जहाँ से सुवर्णकूला नदी बहती है । देव-विमान । 'गार पुं [°कार] सोनी । 'जूहिया स्त्री सुवुण्णा स्त्री [दे] संकेत । [ यूथिका) लता विशेष । 'यार देखो सुवुरिस देखो सुपुरिस। गार । सवण्ण % सूवर्ण।। सुवे अ [श्वस्] आगामी कल । सवन्न वि [सौवर्ण] सोने का बना हुआ। सुवेल पुं. पर्वत-विशेष । न. नगर-विशेष । सुवन्नालुगा स्त्री [दे] दतवन करने का पात्र सुवो देखो सुवे। लोटा आदि । सुव्व न [शुल्व] ताँबा । रज्जु । जल-समीप । सुवप्प पुं[सुवप्र] एक विजय-क्षेत्र । आचार । यज्ञ का कार्य । सुवर ) (अप) देखो सुमर । सुव्बंत सण का कवकृ. । सुव्वत देखो सुव्बय। सुवहु देखो सुबहु । सुव्वत्त वि [सुव्यक्त] स्फुट । सवाय पुंन [सुवात] एक देव-विमान । सुव्वमाण सुण का कवकृ. । सुवास पुं[सवर्ष] सुन्दर वृष्टि । छन्द-विशेष । | सुव्वय पुं सुव्रत] भारतवर्ष में उत्पन्न बीसवें सुवासणी देखो सुवासिणी। जिनदेव, मुनिसुव्रत स्वामी । ऐरवत वर्ष के सुवासव पुं एक राज-कुमार । एक भावी जिनदेव । छठवें जिनदेव के सुवासिणी स्त्री [दे. सुवासिनी] जिसका पति गणधर । तीसरे बलदेव के पूर्व जन्म के धर्म जीवित हो वह स्त्री। गुरु । आठवें बलदेव के धर्म-गुरु । भ० सुवाहा अ [स्वाहा] देवता को हविष आदि पार्श्वनाथ का मुख्य श्रावक । एक ज्योतिष्क अर्पण का सूचक अव्यय । महा-ग्रह । एक दिवस का नाम । न. एक सुविअज्जिअ वि [सुजित] विशेष रूप से | गोत्र । वि. सुन्दर व्रतवाला। °ग्गि पु उपार्जित । [°ाग्नि] एक दिवस का नाम । सुविक्कम पुं [सुविक्रम] भूतानन्द नामक इन्द्र सुव्वया स्त्री [सुव्रता]भ० धर्मनाथ की माता। के हस्ति-सैन्य का अधिपति । एक जैन साध्वी । सुविगा स्त्री [सुकिका, शुकी] मैना। | सुव्विआ स्त्री [दे] माता । सुविण देखो सुमिण । °न्नु वि [ज्ञ] स्वप्न- | सुस देखो सूस। शास्त्र का जानकार। सुसंगद वि [सुसंगत] अति-सम्बद्ध । सुविधि देखो सुविहि। सुसंढिआ स्त्री दे| शूला-प्रोत मांस । सुविवेइय वि [सुविवेचित] सम्यग् विवेचित । सुसंतय वि [सुसक्त] अति सुन्दर । सुविसत्थ पुं [दे] व्यभिचारी पुरुष । । सुसंपरिग्गहिय थि [सुसंपरिगृहीत] खूब Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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