Book Title: Prakrit Hindi kosha
Author(s): K R Chandra
Publisher: Prakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 878
________________ ८५५ सुत्तिय-सुनयण संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष सुत्तिय वि [सूत्रित] सूत्र-निबद्ध । निर्मल । केवल । न. सेंधा नून । मरिच । सुत्थ वि [सुस्थ] स्वस्थ । सुखी ।। १८ दिनों के उपवास | पुं. छन्द-विशेष । सुत्थ न [सौस्थ्य] स्वस्थता। सुखिपन । °गंधारा स्त्री [°गन्धारा] गन्धार-ग्राम की सुत्थिय देखो सुटिअ। एक मूर्च्छना । °दंत पुं ['दन्त] भारतवर्ष सुत्थिर वि [सुस्थिर] अतिशय स्थिर । के भावी चोथे जिनदेव । एक अनुत्तरसुदंती स्त्री. सुन्दर दाँतवाली। गामी जैन मुनि । एक अन्तर्वीप । उसकी एक सुदंसण पुं [सुदर्शन] भ० अरनाथ के पिता। मनुष्य-जाति । 'पक्ख पुं [°पक्ष] शुक्ल तोसरे वासुदेव तथा बलदेव के धर्म-गुरु । | पक्ष । °प्प पुं [°ात्मन्] पवित्र आत्मा । भारतवर्ष का भावी पाँचवाँ बलदेव । धरणेन्द्र "प्पवेस वि [ प्रवेश्य पवित्र और प्रवेश के के हस्ति-सैन्य का अधिपति । एक अन्तकृद् लिए उचित । 'प्पवेस वि ["त्मवेश्य] मुनि । मेरु पर्वत । एक विख्यात श्रेष्ठी । देव- पवित्र तथा वेशोचित । °वाय पुं [°वात] विशेष । विष्णु का चक्र । भ० अरनाथ एवं मन्द पवन । वियड न [°विकट] उष्ण पार्श्वनाथ का पूर्वजन्मीय नाम । पुन. एक | जल । °सज्जा स्त्री [°षड्जा] षड्ज ग्राम देव-विमान । वि. जिसका दर्शन सुन्दर हो | की एक मूर्च्छना । वह । न. पश्चिम रुचक पर्वत का एक शिखर । | सुद्धत पुं [सुद्धान्त] अन्तःपुर । सुदंसणा स्त्री [सुदर्शना] जम्बू नामक वृक्ष, सुद्धवाल वि [दे] शुद्ध और पवित्र । जिससे यह जम्बूद्वीप कहलाता है । भ० महावीर सुद्धि स्त्री [शुद्धि] शुद्धता, निर्दोषता। पता, की ज्येष्ठ बहिन । धरण आदि इन्द्रों के काल- खोई हुई चोज की प्राप्ति । वाल आदि लोकपालों की और काल तथा सुद्धेसणिअ वि [शुद्धषणिक] निर्दोष आहार महाकाल-नामक पिशाचेन्द्रों की अग्रमहिषियों __ की खोज करनेवाला। के नाम । भ० ऋषभदेव की दीक्षा-शिविका । सुद्धोअण पुं [शुद्धोदन] बुद्धदेव के पिता । चतुर्थ बलदेव की माता। °तणय पुं [तनय] । 'पुत्त [ पुत्र] बुद्ध सुदरिसण देखो सुदंसण। देव । सुदाम पुं. अतीत उत्सर्पिणी-काल में उत्पन्न | सुद्धोअणि पुं [शौद्धोदनि] बुद्धदेव । भारतवर्ष का दूसरा कुलकर पुरुष । सुद्धोदण देखो सुद्धोअण। सुदारुण पुं [दे] चंडाल । सुधम्म पुं [सुधर्मन्] भ० महावीर का पट्टधर सुदीह । वि [सुदीर्घ] अत्यन्त लम्बा। शिष्य । एक जैन मुनि । तीसरे बलदेव के सदीहर J °कालीय वि [°कालिक] गुरु । एक जैन मुनि, सातवें बलदेव के पूर्वसुदीर्घ-काल-सम्बन्धी । दंसि वि [°दर्शिन्] जन्म के गुरु । एक जैनाचार्य । देखो सुहम्म । परिणाम का विचार कर कार्य करनेवाला। सुधा देखो छुहा - सुधा । सुदुम्मणिआ स्त्री [दे] रूपवती स्त्री । सुनंद पुं [सुनन्द] भारतवर्ष के भावी दसवें सुद्द पुं [शूद्र] मनुष्य की अधम जाति । चतुर्थ । जिनदेव के पूर्वभव का नाम । एक जैन मुनि । सुद्दय पुं [शूद्रक] एक राजा का नाम । देखो सुणंद। सद्दिणी (अप) स्त्री [शूद्रा] शूद्रजातीय स्त्री। सुनयण पुं [सुनयन] राजा रावण के अधीनस्थ सुद्ध पुं [दे] ग्वाला। एक विद्याधर सामन्त राजा। वि. सुन्दर सुद्ध वि [शुद्ध] शुक्ल । पवित्र । निर्दोष ।। लोचनवाला । वर्ण। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 876 877 878 879 880 881 882 883 884 885 886 887 888 889 890 891 892 893 894 895 896 897 898 899 900 901 902 903 904 905 906 907 908 909 910