Book Title: Prakrit Hindi kosha
Author(s): K R Chandra
Publisher: Prakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 880
________________ सुप्पभ-सुभद्दा संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ८६१ रहनेवाली एक दिक्कुमारी देवी। । भरत के साथ दीक्षा लेनेवाला एक राजा । सुप्पभ पुं [सुप्रभ] वर्तमान अवसर्पिणी-काल में एक मन्त्री। उत्पन्न एवं आगामी उत्सर्पिणी में होनेवाला| सुब्भ वि शुभ्र] सफेद । न. एक प्रकार की चौथा बलदेव । भारतवर्ष का भावी तीसरा | चाँदी । कुलकर पुरुष। हरिकान्त तथा हरिसह । सफेदी। नामक इन्द्रों के एक-एक लोकपाल । पॅन. एक | सुब्भि पुं [सुरभि] सुगन्ध । वि. सुगन्धी। देव-विमान । °कंत पुं [°कान्त] हरिकान्त __ मनोहर, मनोज्ञ । तथा हरिसह नामक इन्द्रों के एक-एक लोक- सुब्भिक्ख न [सुभिक्ष] सुकाल । पाल । सुब्भु स्त्री [सुभ्र] नारी । सुप्पभा स्त्री [सुप्रभा] तीसरे बलदेव की सुभ पुं [शुभ] भ० पाश्र्वनाथ का प्रथम गणमाता । धरण आदि दक्षिण श्रेणी के कई धर। भ० नमिनाथ का प्रथम गणधर । इन्द्रों के लोकपालों की एक-एक अग्रमहिषी । एक मुहूर्त । न. नाम-कर्म का एक भेद । घनवाहन नामक विद्याधर-नरेश की पत्नी । मंगल । वि. मांगलिक । °घोस पुं [°घोष] भ० अजितनाथ की दीक्षा-शिविका । भ० पार्श्वनाथ का द्वितीय गणधर । "गणुधम्म सुप्पभूय वि [सुप्रभूत अति प्रचुर । पुं [°नुधुर्मन्] राक्षस-वंश का एक राजा । सुप्पसण्ण वि [सुप्रसन्न] अत्यन्त प्रसादयुक्त। देखो सुह = शुभ । सुप्पसार वि [सुप्रसारित] सुख से पसारने | सुभंकर न [शुभंकर] वरुण नामक लोकान्तिक योग्य। देवों का विमान । देखो सुहकर। सभग वि. आनन्द-जनक । सौभाग्य-युक्त, सुप्पसारिय वि [सुप्रसारित] अच्छी तरह वल्लभ, जन-प्रिय । न. पद्म-विशेष । कर्मपसारा हुआ (औप)। विशेष । सुप्पसिद्ध देखो सुपसिद्ध । सुप्पसूय वि [सुप्रसूत] सम्यग् उत्पन्न । सुभगा स्त्री. लता-विशेष । सुरूप नामक भूतेन्द्र सुप्पहूव (अप) देखो सुप्पभूय । की एक पटरानी। सुप्पाडोस पुंदे] अच्छा पड़ोस । सुभग्ग वि [सुभाग्य] भाग्यशाली । सुप्पिय वि [सुप्रिय] अत्यन्त प्रिय । सुभणिय वि [सुभणित] वचन-कुशल । सुप्पुरिस देखो सुपुरिस। सुभद्द [सुभद्र] इक्ष्वाकु-वंश का एक राजा । सुफणि स्त्रीन. जिसमें तक्र आदि उबाला जाय दूसरे वासुदेव तथा बलदेव के धर्म-गुरु । पुन. ऐसा बटुवा आदि पात्र। एक देव-विमान । नगर-विशेष । सुबंधु पुं [सुबन्धु] दूसरे बलदेव का पूर्वजन्मीय सुभद्दा स्त्री [सुभद्रा] दूसरे बलदेव की माता । नाम । भावी सातवाँ कुलकर । प्रथम स्त्री-रत्न, भरत चक्रवर्ती की अग्रसुबंभ पुन [सुब्रह्मन्] एक देव-विमान । महिषी। बलि नामक इन्द्र के सोम आदि सुबल पुं. सोम-वंश का एक राजा । पहले चारों लोकपालों की एक-एक अग्रमहिषी। बलदेव का पूर्वजन्मीय नाम । भूतानन्द आदि इन्द्रों के कालवाल नामक सुबाहु पुं. एक राज-कुमार । स्त्री. रुक्मिराज | लोकपाल की एक-एक अग्र-महिषी। प्रतिमाकी एक कन्या । विशेष, एक व्रत । राम के भाई भरत की सुबुद्धि स्त्री. सुन्दर प्रज्ञा। पं. राम-भ्राता | पत्नी । राजा कोणिक की स्त्री। राजा श्रेणिक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 878 879 880 881 882 883 884 885 886 887 888 889 890 891 892 893 894 895 896 897 898 899 900 901 902 903 904 905 906 907 908 909 910