Book Title: Prakrit Hindi kosha
Author(s): K R Chandra
Publisher: Prakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
View full book text
________________
८४४
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
सिक्ख-सिढिलावि
सिक्ख देखो सिक्खाव।
| सिज्ज° देखो सिज्जा। सिक्खग वि [शिक्षक] शिक्षा-कर्ता । सिज्जभण पुं [शय्यंभण] एक सुप्रसिद्ध प्राचीन सिक्खग पं [शैक्षक] नूतन शिष्य ।
जैन महर्षि । सिक्खण न [शिक्षण] अभ्यास, पाठ । सीख, सिज्जंस देखो सेज्जंस - श्रेयांस । उपदेश । अध्यापन, पाटन ।
| सिज्जा स्त्री [शय्या] बिछौना। उपाश्रय, सिक्खव देखो सिक्खाव।
वसति । 'तरी, यरी स्त्री. उपाश्रय की सिक्खवअ वि [शिक्षक] शिक्षा देनेवाला ।
मालकिन । 'वाली स्त्री ["पाली] बिछौना पढ़ानेवाला।
का काम करनेवाली दासी । देखो सेजा।
सिजिअ (अप) वि [सृष्ट] उत्पन्न किया हुआ, सिक्खा स्त्री [शिक्षा] सजा । वेद का एक
बनाया हुआ। अङ्ग, वर्णों के उच्चारण -सम्बन्धी ग्रंथ-विशेष,
सिज्जिर वि [स्वेत्त] पसीनावाला । अक्षरों के स्वरूप को बतलानेवाला शास्त्र ।
सिज्जूर न [दे] राज्य । शास्त्र और आचार-सम्बन्धी शिक्षण, अभ्यास, उपदेश । °वय न ["व्रत] जैन गृहस्थ के
सिज्झ अक [सिध् ] निष्पन्न होना । पकना । सामायिक आदि चार वा । वय न [°पद]
मुक्त होना । “मंगल होना। गति करना, शिक्षा-स्थान ।
जाना । सक. शासन करना। सिक्खा (अप) स्त्रो [शिया] छन्द-विशेष ।। सिज्झ देखो सिंझ। सिक्खाण न [शिक्षाण] आचार-सम्बन्धी
सिज्झणया । स्त्री [सेधना] सिद्धि, मुक्ति, उपदेश देनेवाला शास्त्र ।
सिज्झणा । निर्वाण । निष्पत्ति, साधना । सिक्खाव सक [शिक्षय | सिखाना, पढ़ाना,
सिट्ठ वि [श्रेष्ठ] अति उत्तम । अभ्यास कराना।
सिट्ठ वि [सृष्ट] रचित, निर्मित । युक्त । सिक्खावअ देखो सिक्खवअ ।
निश्चित । भूषित । बहुल । त्यक्त । सिक्खावण न [शिक्षण] सिखाना, सीख, सिट्ठ वि [शिष्ट] कथित, उपदिष्ट । सज्जन, हितोपदेश ।
प्रतिष्ठित । °गयार पुं [चार] भलमनसी, सिक्खिअ वि [शिक्षित] सीखा हुआ, जान
सदाचार । कार, विद्वान् ।
सिट्ठ वि [दे] सो कर उठा हुआ। सिखा स्त्री [शिखा] छन्द-विशेष । | सिट्रि स्त्री [सृष्टि] विश्व-निर्माण । निर्माण । सिखि देखो सिहि = शिखिन् ।
स्वभाव । जिसका निर्माण होता हो वह । सिगया देखो सिकया।
सीधा क्रम । सिगाल देखो सिआल।
सिट्टि पुं [दे. श्रेष्ठिन्] नगर-सेठ । पय न सिग्ग वि [ दे ] श्रान्त । पुन. परिश्रम, [°पद] नगर-सेठ की पदवी । देखो सेट्रि। थकावट ।
सिट्टिणी स्त्री [श्रेष्ठिनी] श्रेष्ठि-पत्नी, सेठानी । सिग्गु पुं [शिन] सहिजना का पेड़ । सिड्ढी स्त्री [दे] सीढ़ी, निःश्रेणि । सिग्घ न [शीघ्र] जल्दी । वि. शीघ्रता-यक्त ।। सिढिल वि [शिथिर, शिथिल] श्लथ, ढीला । सिचय पुं. वस्त्र, कपड़ा।
अदृढ़ । मन्द । सिच्छा स्त्री स्वेच्छा] स्वच्छन्द ।
सिढिल सक [शिथिलय ] शिथिल करना । सिज्ज अक [स्विद्] पसीना होना ।
सिढिलाविअ वि [शिथिलित] शिथिल
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 861 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871 872 873 874 875 876 877 878 879 880 881 882 883 884 885 886 887 888 889 890 891 892 893 894 895 896 897 898 899 900 901 902 903 904 905 906 907 908 909 910