Book Title: Prakrit Hindi kosha
Author(s): K R Chandra
Publisher: Prakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad

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Page 869
________________ ८५० संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष सिस्सिरिली-सीआ सिस्सिरिली स्त्री [दे] कन्द-विशेष । शीत-काल । ठंढ । शीत स्पर्श का कारणसिह सक [स्पृह ] इच्छा करना, चाहना। भूत कर्म-विशेष । वि. शीतल । पुं. प्रथम सिह पुंदे] भुजपरिसर्प की एक जाति । नरक का एक नरक-स्थान ! न. आयंबिल सिहंड पुं [शिखण्ड] शिखा, चूल, चोटी। तप । वि. अनुकूल । न. सुख । °घर न सिहंडइल्ल पुं [दे] बालक । दधिसर । मोर । [°गृह] चक्रवर्ती का वर्धकि-निर्मित वह घर सिहंडहिल्ल पुं [दे] बालक । जहाँ सर्व ऋतु में स्पर्श की अनुकूलता होती सिहंडि वि [शिखण्डिन्] शिखाधारी। पुं. है। °च्छाय वि. शीतल छायावाला । मयूर-पक्षी । विष्णु । °परीसह पुं [परीषह] शीत को सहना । सिहण देखो सिहिण। °फास पुं [°स्पर्श] ठंढ । सर्दी । °सोआ सिहर न [शिखर] पर्वत के ऊपर का भाग स्त्री [°श्रोता, स्रोता ] नदी-विशेष । शृङ्ग । अग्रभाग। अठाईस दिनों का उप लोअअ [°ालोकक] चन्द्रमा । शीतकाल, वास । °अण वि [°चण] शिखरों से प्रसिद्ध । हिम-ऋतु । सिहरि पुं [शिखरिन्] पहाड़। वर्षधर पर्वत सीअ° देखो सीआ = शीता । 'प्पसाय पुं विशेष । पुन. कूट-विशेष । वइ पुं॰पति] [°प्रपात] द्रह-विशेष, जहाँ शीता नदी पहाड़ पर से गिरती है। हिमालय। सोअ° देखो सीआ = सीता। सिहरिणी । स्त्री[दे. शिखरिणी] दही चीनी सिहरिल्ला ) आदि का एक मिष्ट खाद्य ।। सीअउरय पुंदे. शीतोरस्क] गुल्म-विशेष । सिहली , स्त्री [शिखा] मस्तक के बालों सीअण न [सदन] हैरानी। सिहा की चोटी । अग्नि-ज्वाला । सीअणय न [दे] दुग्ध-पारी । श्मशान । सिहाल वि [शिखावत् शिखावाला । सीअर पुं [शीकर] पवन से क्षिप्त जल, सिहि पुं [शिखिन्] अग्नि । मयूर । रावण का | __फुहार, जल-कण । वायु. पवन । एक सुभट । पर्वत । ब्राह्मण । मुर्गा । केतु । | सीअल पुं (शीतल] वर्तमान अवसर्पिणी काल के दसवें जिन-देव । कृष्ण पुद्गल-विशेष । ग्रह । वृक्ष । अश्व । चित्रक-वृक्ष । मयूरशिखा वि. ठंढा । वृक्ष । बकरे का रोम । वि. शिखा-युक्त।। सिहि पुं [दे] मुर्गा। सीअलिया स्त्री [शीतलिका] ठंढी, शीतला । सिहिअ वि [स्पृहित] अभिलषित । लता-विशेष । सिहिण पुन [दे] स्तन । सीअल्लि पुंस्त्री [दे] हिमकाल का दुर्दिन । सिहिणी स्त्री [शिखिनी] छन्द-विशेष । वृक्ष-विशेष । सिही (अप) स्त्री [सिंही छन्द-विशेष । सीआ स्त्री[शीता]एक महा-नदी। ईषत्प्रारभारा सी (अप) स्त्री[श्री]छन्द-विशेष । देखो सिरी।। नामक पृथिवी, सिद्ध-शिला। शीताप्रपात सीअ अक [सद्] विषाद करना। थकना । | द्रह की अधिष्ठात्री देवी । नील पर्वत का एक पीड़ित होना । फलना, फल लगना। शिखर । माल्यवत् पर्वत का एक कूट । सीअ न [दे] सिक्थक, मोम । पश्चिम रुचक पर रहनेवाली दिक्कुमारी सीअ वि [स्वीय] स्वकीय, निज । देवी । °मुह न [°मुख] एक वन । सीअ देखो सिअ = सित । सीआ स्त्री [सीता] जनक-सुता, राम-पत्नी । सीअ पुंन [शीत] ठंढा स्पर्श । हिम । तुहिन ।। चतुर्थ वासुदेव की माता । लाङ्गल-पद्धति, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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