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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष सिरिअ-सिलिवइ छठवीं रात । सिचय पं. ऐरवत वर्ष में | ओषधि-विशेष । पद्म । देखो सिअ, सिरि', उत्पन्न दूसरे जिनदेव । °सेण पुं [षेण] सी = श्री।। एक राजा । °सेल पुं [शैल] हनुमान । सिरीस देखो सिरिस ।
सोम पुं. भारतवर्ष के भावी सातवाँ चक्र- सिरीसिव पुं [सरीसृप] सर्प । वर्ती राजा। सोमणस पुंन [°सौमनस] सिरो देखो सिर = शिरस् । °धरा (शौ) एक देव-विमान । हर न[ गृह] भंडार । हर देखो °हरा। मणि पुं ["मणि] प्रधान, पुं ['धर] भ० पार्श्वनाथ का एक मुनिगण । अग्रणी। रुह पुं. केश । °विअणा स्त्री भ० पार्श्वनाथ का एक गणधर । भारतवर्ष [°वेदना] सिर की पीड़ा। °वत्थि देखो में अतीत उत्सर्पिणी काल में उत्पन्न सातवें सिर-वत्थि । हरा स्त्री [धरा] ग्रीवा । जिनदेव । ऐरवत वर्ष में वर्तमान अवसर्पिणी सिल° देखो सिला । °प्पवाल न [प्रवाल] काल में उत्पन्न बीसवें जिनदेव । वासुदेव । विद्रम । हर वि. श्री को हरण करनेवाला । हल सिलंब देखो सिलिंब । न [°फल] बिल्व फल । देखो °फल। सिलय पुं दे] गिरे हुए अन्न-कणों का ग्रहण । सिरिअ पुं [श्रीक, श्रीयक] स्थूलभद्र का | सिला स्त्री [शिला] सिल, चट्टान, पत्थर ।
छोटा भाई और नन्द राजा का एक मन्त्री। | ओला । °जउ पुंन [°जतु] शिलाजित । सिरिअ न [स्वैर्य] स्वच्छन्दता ।
सिलाइच्च पु [शिलादित्य] वलभीपुर का सिरिंग पुं [दे] विट, लम्पट, कामुक ।
एक प्रसिद्ध राजा। सिरिद्दह पुंस्त्री [दे] पक्षियों का पान-पात्र । | सिलागा देखो सलागा। सिरिमह वि [दे] जिसके मह में मद हो ।
| सिलाघ । (शौ) नीचे देखो। सक सिरिया देखो सिरी।
सिलाह ) [श्लाघ् ] प्रशंसा करना । सिरिली स्त्री [दे श्रीली] कन्द-विशेष ।।
सिलिंद पुं [शिलिन्द] धान्य-विशेष । सिरिवच्छीव पुं [दे] गोपाल, ग्वाला । सिलिंध पुंन [शिलीन्ध्र] छत्रक वृक्ष, भूमिसिरिवय पुं [दे] हंस पक्षी ।
स्फोट वृक्ष । पुं. पर्वत-विशेष । °ानलय पुं सिरिवय देखो सिरि-वय !
पर्वत-विशेष । सिरिस पुं [शिरीष] सिरसा का पेड़ । न
सिलिंब पुं [दे] शिशु । सिरसा का फूल ।
| सिलिट्ठ वि [श्लिष्ट] मनोज्ञ, सुन्दर । संगत, सिरी स्त्री [श्री] लक्ष्मी, कमला। सम्पत्ति । सुयुक्त। आलिङ्गित। संसृष्ट । संबद्ध । शोभा । पद्म ह्रद की अधिष्ठात्री देवी।। श्लेषालकार-युक्त । उत्तर सचक पर रहनेवाली एक दिक्कमारी | सिलिपइ देखो सिलिवइ। देवी । देव-प्रतिमा-विशेष । भ. कुन्थुनाथ जी | सिलिम्ह पुंस्त्री [श्लेष्मन्] श्लेष्मा, कफ । की माता । एक श्रेष्ठि-पत्नी । देव, गुरु आदि | देखो सेम्ह । के नाम के पूर्व में लगा पा जाता आदर- | सिलिया स्त्री [शिलिका] चिरैता आदि तृण, सूचक शब्द । वाणो। वेष-रचना। धर्म | ओषधि-विशेष । शस्त्र को तीक्षण करने का आदि पुरुषार्थ । प्रकार। साधन । बुद्धि । | पाषाण । अधिकार। प्रभा । कीर्ति । सिद्धि । वृद्धि । | सिलिवइ वि [श्लीपदिन्] श्लीपद रोगी। विभूति । लवंग । सरल वृक्ष । बिल्व-वृक्ष । ' जिसका पैर फूला हुआ और कठिन होता है ।
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