Book Title: Prakrit Hindi kosha
Author(s): K R Chandra
Publisher: Prakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 849
________________ ८३० संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष सह-सहिआ स्त्री. चतुर्थ चक्रवर्ती की माता। एक मही-। [°लोचन] इन्द्र । °सिर वि ["शिरस्] षधि । 'धम्मआरिणी स्त्री [ धर्मचारिणी] प्रभूत मस्तकवाला । पुं. विष्णु । °वत्त देखो पत्नी। पंसुकीलिअ वि [°पांशुक्रीडित] °पत्त । सो अ [°शस्] अनेक हजार । 'हा बाल-मित्र । °य देखो °ज। 'यर वि । अ [°धा] सहस्र प्रकार से । °हुत्तं अ [°चर] सहाय, साहाय्य-कर्ता । वयस्य, [कृत्वस्] हजार बार। देखो सहस, दोस्त । अनुचर । °यरी स्त्री [°चरी] ।। सहास । प्यार देखो °कार । राग वि. राग-सहित । सहस्संबवण न [सहस्राम्रवण] एक उद्यान, पर देखो °कार। आम के प्रभूत पेड़ोंवाला वन । सह देखो सहा = सभा। सहस्सार पुं [सहस्रार] आठवाँ देवलोक । सहउत्थिया स्त्री [दे] दूती । आठवें देवलोक का इन्द्र । एक देव-विमान । सहगुह पुदे] धूक, उल्लू, पक्षि-विशेष ।। "वडिंसय पुन. [वतंसक] एक देवसहडामह न [शकटामुख] वैताढ्य की उत्तर । विमान । श्रेणि में स्थित एक-विद्याधर-नगर । सहा स्त्री [सभा] समिति, परिषत् । °सय सहण अ [दे| सह, साथ में। वि [°सद] सभ्य, सदस्य । सहण न [सहन] तितिक्षा । वि. सहिष्णु । सहा देखो साहा = शाखा । सहर पुस्त्री शफर) मत्स्य । सहाअ देखो स-हाअ = स्व-भाव । सहर वि [दे] साहाय्य-कर्ता, सहाय । सहाअ । पृ [सहाय] सहाय्य-कर्ता । वि सहल वि [सफल सार्थक । सहाइ , [साहाय्यिन् । सहस देखो सहस्स । °किरण पुं. सूर्य । °क्ख | सहाइया स्त्री [सहायिका] मदद करनेवाली । पुं [°क्ष) इन्द्र | रावण का एक योद्धा । | सहार देखो सहार - सह-कार । छन्द-विशेष । सहाव देखो स-हाव = स्वभाव । सहसक्कार पुंसहसाकार] विचार किये बिना सहास देखो सहस्स । हुत्तो अ [°कृत्वस् करना । आकस्मिक क्रिया । वि. विचार किये __ हजार बार। बिना करनेवाला। सहासय देखो सहा-सय = सभा-सद । सहसत्ति अ. अकस्मात्, शीघ्र । सहि वि [सखि] मित्र । देखो सही । सहसा अ. अकस्मात्, शीघ्र। वित्तासिय न | सहि देखो सही। [वित्रासित] अकस्मात् स्त्री के नेत्र-स्थगन सहिअ वि [सोढ] सहन किया हुआ । आदि क्रीड़ा। सहिअ वि [सहित] युक्त । हित-युक्त । पुं. सहस्स पुन [सहस्र] संख्या-विशेष, १००० ।। ज्योतिष्क ग्रह-विशेष । . वि. हजार की संख्यावाला। °किरण पुं. | सहिअ पुं [सभिक] द्यूत-कारक, जुआ खेलनेसूर्य । एक राजा । क्ख पुं [°क्ष] । °णयण, | "नयण पुं [°नयन] इन्द्र । एक विद्याधर | सहिअ देखो स-हिअ = स्व-हित । राज-कुमार । °पत्त अ ["पत्र] हजार दल- सहिअ देखो सह - सह । वाला कमल । 'पाग पुंन [°पाक] हजार सहिअ वि [सहृदय] सुन्दर चित्तवाला । ओषधि से बनता एक प्रकार का तेल । सहिअय । परिपक्व बुद्धिवाला । °रस्सि पुं [रश्मि] सूर्य । °लोयण पुं ! मदिआ देखो सही। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871 872 873 874 875 876 877 878 879 880 881 882 883 884 885 886 887 888 889 890 891 892 893 894 895 896 897 898 899 900 901 902 903 904 905 906 907 908 909 910