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पर्वत पर रहनेवाली एक दिक्कुमारी देवी । गुत्त पुं [गुप्त ] एक जैन मुनि । 'ज्ज वि [ज्ञ] सर्व पदार्थों का जानकार। पुं. जिन भगवान् । बुद्धदेव । महादेव । परमेश्वर । [T] अहोरात्र का उनतीसवाँ मुहूर्त । पुंन. सहस्रार देवलोक का एक विमान । अनुतर देवलोक का सर्वार्थसिद्ध नामक एक विमान । पुं. सब अर्थ | सिद्ध पुंन [र्थसिद्ध] अहोरात्र का उनतीसवाँ मुहूर्त | अनुत्तर देवलोक का पाँचवाँ और सर्वश्रेष्ठ विमान । पुं. ऐरवत वर्ष में उत्पन्न होनेवाले छठवें जिनदेव | 'ट्ठसिद्धा स्त्री [ार्थसिद्धा ] भ० धर्मनाथजी की दीक्षा शिविका | सिद्धि स्त्री [र्थसिद्धि] एक देव-विमान | देखो 'ज्ज । 'त्त देखो 'त्थ । तो देखो 'ओ । 'त्थ अ [ ] सब स्थान में, सब में । 'दंसि, 'दरिसि वि [ दर्शिन् ] सब वस्तुओं को देखनेवाला । पुंन. जिन भगवान् | देव पुं. एक प्रसिद्ध जैन आचार्य । राजा कुमारपाल के समय का एक सेठ | 'द्दंसि देखो 'दसि । °द्धा स्त्री [Tद्धा] सब काल, अतीत आदि सर्व समय । धत्ता स्त्री. व्यापक, सर्व ग्राहक । °न्नु देखो “ज्ज | °८पग वि [त्मक ] व्यापक । पुं. लोभ । पभा स्त्री [प्रभा ] उत्तर रुचक पर्वत पर रहनेवाली एक दिक्कु मारी देवी । 'भक्ख वि [' भक्ष] सर्व-भोजी ।
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
भद्दा स्त्री [भद्रा ] प्रतिज्ञा-विशेष, व्रतविशेष | 'भावविउ पुं [" भावविद् ] आगामी काल में भारत वर्ष में होनेवाले बारहवें जिनदेव । य वि [द] सब देनेवाला । ' या अ [दा] हमेशा । रयण पुं ['रत्न] एक महानिधि । पुंन. पर्वत- विशेष का एक शिखर । ° रयणा स्त्री [° रत्ना ] ईशानेन्द्र की वसुमित्रा नामक इन्द्राणी की एक राजधानी । रयणामय वि [° रत्नमय ] सब रत्नों का हुआ । चक्रवर्ती का एक निधि ।
बना
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सव्यंकस - सबोसहि
[
विग्गहिअ वि [विग्रहिक ] सर्व-संक्षिप्त । विरइ स्त्री [विरति ] पाप कर्म से सर्वथा निवृत्ति | संग सङ्गत ] मृत्यु | ° संजम पुं [संयम ] पूर्ण संयम । सह वि. सब सहन करनेवाला | सिद्धा स्त्री पक्ष की चौथी, नववीं और चौदहवीं रात्रि - तिथि । °सो अ [°शस्] सब ओर से, सब प्रकार से । 'सन [व] सकल द्रव्य । 'हा अ [' था ] [° सब प्रकार से । णंद पुं [नन्द ] ऐरवत क्षेत्र के एक भावी जिन- देव | Tणुभूइ पुं [Tनुभूति] भारत वर्ष में होनेवाले पाँचवें जिन भगवान् । भ० महावीर का एक शिष्य ।
हा स्त्री [हा] विद्या-विशेष | विवि [प] संपूर्ण | सण पुं [शन] अग्नि । सव्वंकस वि [सर्वकष ] सर्वातिशायी । न
पाप ।
सव्वंग वि व्यापी |
[सर्वाङ्ग ] संपूर्ण । सर्व-शरीरसुंदर वि [सुन्दर ] सर्व अंगों में श्रेष्ठ । पुंन. तप - विशेष ।
सव्वंगिअ । वि [सर्वाङ्गीण ] सर्व अवयवों सव्वंगीण में व्याप्त ।
सव्वण देखो सव्वण = स व्रण |
सव्वराइअ वि [ सार्वत्रिक ] संपूर्ण रात्रि से सम्बन्ध रखनेवाला, सारी रात का । सव्वरी स्त्री [शर्वरी] रात्रि | सव्वल पुं [दे. शर्वल ] कुन्त, बर्छा | देखो सद्धल ।
सव्वला स्त्री [दे. शवला] कुशी, लोहे का एक हथियार ।
सव्ववेक्ख देखो स-व्ववेक्ख = स व्यपेक्ष | सव्वाव देखो सव्व-नव सर्वाप । सव्वाव देखो सव्वाव = स व्याप । सव्वावंति अ [ दे] सर्व, संपूर्ण । सव्विड्ढि स्त्री [सर्वद्ध] संपूर्ण वैभव । सव्विवर देखो स-व्विवर = स-विवर | सव्वोसहि स्त्री [सर्वौषधि ] लब्धि-विशेष,
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