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वड्डु-वण
वड्डु वि [दे] महान् । [आस्तरक] ऊँट की पीठ आसन । 'त्तण न ['त्व ] न [°त्व] महत्ता | °यर वि [तर] विशेष
|
बड़ा |
वडवास पुं [दे] मेघ, अभ्र । वहुलि पुं [दे] माली ।
वडार (अप) देखो वड्ड-यर ।
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
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'अत्थरग पुं | वड्ढि वि [वर्धित ] बढ़ाया हुआ । खण्डित पर रखा जाता किया हुआ, °प्पण (अप)
काटा हुआ ।
वड्ढिआ स्त्री [ दे] कूपतुला, ढेंकुवा । वड्ढिम पुंस्त्री [वृद्धिमन् ] वृद्धि ।
वढ देखो वड = वट ।
वढ वि [] वाक् शक्ति से रहित ।
डुमवि [] टपका हुआ । वड्डुअर देखो वड्ड-यर । वड्ढ अक [वृध्] बढ़ना ।
वड्ढ सक [वर्धय्] बढ़ाना, विस्तारना | बधाई देना | देखो वद्ध = वर्धय् । वड्ढ पुं [वर्धक ] सुतार | वड्ढइअ पुं [दे] मोची । वड्ढणमिर वि [] पुष्ट |
वड्ढणसाल वि [दे] जिसकी पूँछ कटी हो । वड्ढमाण न [ वर्धमान, 'क] गुजरात का वड्ढमाणय 'वढवाण' नगर । अवधिज्ञान का एक भेद, उत्तरोत्तर बढ़ता जाता एक प्रकार का परोक्ष रूपी द्रव्यों का ज्ञान । पुं. भ. महावीर | देखो वद्धमाण । वड्ढय देखो वट्ट = दे।
वड्ढव सक [वर्धय्, वर्धापय् ] वृद्धि करना ।
बधाई देना ।
वड्ढव वि [वर्धक ] बढ़ानेवाला । बधाई देनेवाला |
वड्ढवण न [दे] वस्त्र का आहरण ।
वड्ढवण न [दे. वर्धापन ] बधाई | अभ्युदय | निवेदन |
वड्ढार (अप) सक [वर्धय् ] बढ़ाना | वड्ढाव देखो वड्ढव ।
वड्ढावअ देखो वड्ढवअ । वड्ढावि वि [] समापित । वड्ढि वि [वर्धिन्] बढ़नेवाला । afs स्त्री [वृद्धि] बढ़ती ।
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पुं [ बठर] मूर्ख छात्र | ब्राह्मण पुरुष और वैश्य स्त्री से उत्पन्न
सन्तान, अम्बष्ठ | वि. शठ, धूर्त्त । मन्द, अलस ।
वण क [व] माँगना ।
वण पुं [] अधिकार | चांडाल |
वढर
वढल
वण पुंन [ व्रण] घाव | प्रहार, क्षत । वट्ट पुं [पट्ट] घाव पर बाँधी जाती पट्टी
।
निवास |
काम |
वण न [वन] जंगल । पानी । आलय । वनस्पति । उद्यान । पुं. वानव्यंतर देव । वृक्ष - विशेष । 'कम्म पुंन ['कर्मत्] जंगल को काटने या बेचने का 'कम्मत न ['कर्मान्त ] वनस्पति का कारखाना गयपुं [गज] जंगली हाथी । पुं [न] दावानल । 'चर वि. वन में रहनेवाला । जंगली । स्त्री. 'री देखो 'यर | छंद वि [च्छिद् ] जंगल काटनेवाला | 'थली स्त्री [स्थली ] अरण्य भूमि | दव पुं. दावानल | पव्वय पुंन [पर्वत ] वनस्पति से व्याप्त पर्वत । 'बिराल पुं [बिडाल ] जंगली बिल्ला । 'माल न. एक देवविमान | माला स्त्री. पैर तक लटकनेवाली माला । एक राज पत्नी । °य वि [ज] वन में उत्पन्न । जंगली । 'यर वि [°चर] बनैला । पुंस्त्री. व्यन्तर देव । स्त्री. 'री | 'राइ स्त्री [° राजि] वृक्ष -समूह | 'राज, राय पुं. आठवीं शताब्दी का गुजरात का एक राजा । सिंह | 'लइया, लया स्त्री ['लता] एक स्त्री । एक शाखावाला वृक्ष | वाल वि [पाल] उद्यान- पालक,
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