Book Title: Prakrit Hindi kosha
Author(s): K R Chandra
Publisher: Prakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad

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Page 830
________________ ८११ संभा-समण संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष सभा स्त्री. परिषद् । गाड़ी के ऊपर की छत- । समईअ वि [ममतीत] गुजरा हुआ । पुं. भूत ढक्कन । काल । सभाज सक [ सभाजय् ] पूजन करना । समईअ देखो समइअ = समयिक । सभाव देखो स-भाव = स्व-भाव । समउ । (अप) अ [समम्] साथ, सह । सम अक [शम्] शान्त होना, उपशान्त होना । समं नष्ट होना । आसक्त होना । समंजस वि [समञ्जस] उचित । योग्य । सम सक [शमय ] उपशान्त करना, दबाना। समंत देखो समंता। नाश करना। समंत देखो सामन्त । सम पुं [श्रम] परिश्रम, आयास । खेद, थका समंत (अप) देखो समत्थ = समस्त । वट । जल न. पसीना । समंतओ ) अ [ समन्ततस ] सर्वतः । सम पुं [शम] शान्ति, क्रोध आदि का निग्रह ।। समंता चारों तरफ । अ [समन्तात् । सम वि. समान । तटस्थ, राग-द्वेष से रहित । समतेण स. सब । पुंन. एक देव-विमान । सामायिक । समक्कंत वि [समाक्रान्त] जिसपर आक्रमण आकाश । °चउरंस न [°चतुरस्र] संस्थान- किया गया हो वह । अवरुद्ध । विशेष, चारों कोणों के समान शरीर की समक्ख न [समक्ष] देखो समच्छ । आकृति-विशेष । °चक्कवाल न [°चक्रवाल] समक्खाय । वि [समाख्यात] उक्त । गोलाकार । °ताल न. कला-विशेष । वि. समक्खिअ । समान तालवाला । धम्मिअ वि [°र्मिक] समगं देखो समयं - समकम् । समान धर्मवाला । °पादपुत पुंन. आसन समग्ग वि [समग्र] सकल । युक्त । विशेष, जिसमें दोनों पैर मिलाकर जमीन में समग्गल वि [समर्गल] अत्यधिक । लगाए जाते हैं । "पासि वि [ दर्शिन्] सम- समग्ग समग्ग। दर्शी । 'प्पभ पुंन [प्रभ] एक देव-विमान । समग्ध वि [स] सस्ता । °भाव पुं. समता । °या स्त्री [°ता] राग-द्वेष समच्चण न [र मर्चन] पूजन । का अभाव, मध्यस्थता । 'वत्ति पुं [वर्तिन्] समच्चिअ वि सचित] पूजित । यमराज । °सरिस वि [°सदृश] अत्यन्त समच्छ अक [ लम् + आस ] बैठना । सक. तुल्य, सदृश । °सहिय वि [°सहित] युक्त । अवलम्बन करना । अधीन रखना । सुद्ध पुं [°शुद्ध] एक राजा, छठवें केशव का समच्छ वि [समक्ष] प्रत्यक्ष का विषय । न. पिता। नजर के सामने । समइअ वि [सामयिक] समय-सम्बन्धी। समच्छायग वि [समाच्छादक] ढकनेवाला । समइअ वि [समयित] संकेतित । समज्ज । सक [ सम् + अर्ज ] पैदा समइअ न [समयिक] सामायिक नामक संयम- | | समज्जिण करना, उपार्जन करना । विशेष । समज्झासिय वि [समध्यासित] अधिष्ठित । समइंछिअ देखो समइच्छि। समट्ठ वि [समर्थ] संगत अर्थ, व्याजबी । शक्त, समइक्कंत वि [समतिक्रान्त] व्यतीत ।। शक्तिमान् । समइच्छ सक [ समति +क्रम् ] उल्लंघन | समण न [शमन] उपशमन, शान्त करना । करना । अक. गुजरना। पथ्यानुष्ठान । एक दिन का उपवास । वि. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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