________________
विच्छिण्ण-विजय संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
७३७ करना।
विच्छोह [विक्षोभ] विक्षेप । चंचलता । विच्छिण्ण वि [विच्छिन्न] अलग किया हुआ । | विछल सक [वि + छलय् ] छलित करना । विच्छित्ति स्त्री. विन्यास, रचना । प्रान्त | विछोय देखो विच्छोव । भाग । अंगराग।
विजइ वि [विजयिन्] विजेता । विच्छिव सक [वि + स्पश] विशेष रूप से | विजंभ देखो विअभ = वि + जम्भू । स्पर्श करना।
विजढ वि [वित्यक्त] परित्यक्त । विच्छिव सक [वि + क्षिप् ] फेंकना।
विजण देखो विअण - विजन । विच्छु । देखो विंचुअ ।
विजय सक [वि+ जि ] जीतमा। अक. विच्छुअ)
उत्कर्ष-युक्त होना। विच्छडिअ वि [विच्छुटित] विरहित । मुक्त । |
विजय पुं. निर्णय, शास्त्र के अर्थ का ज्ञाम- . विच्छरिअ वि [दे] अपूर्व ।
पूर्वक निश्चय । अनुचिन्तन । आश्रय, स्थान । विच्छुरिअ वि [विच्छुरित] जड़ा हुआ। | जीत । एक देव-विमान । उसके निवासी संबद्ध । व्याप्त ।
देवता। अहोरात्र का बारहवाँ या सप्तरहवा विच्छ्ह सक [वि + क्षिप् ] फेंकना, दूर मुहूर्त । भ. नेमिनाथजी के पिता । भारतवर्ष करना।
के बीसवें भावी जिनदेव । तृतीय चक्रवर्ती विच्छुह अक [वि + क्षुभ् ] विक्षोभ करना, के पिता। आश्विन मास । भारतवर्ष में चंचल हो उठना ।
उत्पन्न द्वितीय बलदेव । भारतवर्ष का भावी विच्छूढ वि [विक्षिप्त] फेंका हुआ, दूर किया दूसरा बलदेव । ग्यारहवें चक्रवर्ती राजा का हुआ । प्रेरित ।
पिता । एक राजा। एक क्षत्रिय । भगवान् विच्छूढ वि [दे] विरहित, विघटित । चन्द्रप्रभ का शासन-देव । जंबूद्वीप का पूर्व विच्छूढव्व देखो विच्छुह = वि + क्षिप् का द्वार। उस का अधिष्ठाता देव । लवण समुद्र कृ.।
का पूर्व द्वार। उस का अधिपति देव । महाविच्छेअ [दे] विलास । जघन ।
विदेह वर्ष का प्रान्त-तुल्य प्रदेश । उत्कर्ष । विच्छेअ ' [विच्छेद] विभाग । वियोग । पराभव करके ग्रहण करना। प्रथम शताब्दी अनुबन्ध-विनाश, प्रवाह-निरोध ।
के एक जैन आचार्य । अभ्युदय । समृद्धि । विच्छेअय वि [विच्छेदक] विच्छेद-कर्ता। धातकी खण्ड का पूर्व द्वार । कालोद समुद्र, विच्छेइअ वि [विच्छेदित] विच्छिन्न किया पुष्कर-वरद्वीप तथा पुष्करोद समुद्र का पूर्व
द्वार । रुचक पर्वत का एक कूट । एक राजविच्छोइय वि [दे] विरहित ।
कुमार । छन्द-विशेष । वि जीतनेवाला । विच्छोड देखो विच्छोल।
°चरपुर न. एक विद्याधर-नगर । °जत्ता विच्छोम पुं [दे. विदर्भ] नगर-विशेष । स्त्री [ यात्रा] विजय के लिए किया जाता विच्छोय पुं [दे] विरह । देखो विच्छोह । प्रयाण । °ढक्का स्त्री. विजय-सूचक भेरी । विच्छोल सक [कम्पय] कपाना।
°देव पुं. अठारहवीं शताब्दी का एक जैन विच्छोलिअ वि [विच्छोलित] धोया हुआ । आचार्य । °पुर न. नगर-विशेष । 'पुरा, विच्छोव सक [दे] विरहित करना। 'पुरी स्त्री. पक्ष्मकावती नामक विजय-क्षेत्र की विच्छोह पुं [दे] विरह ।
राजधानी । °माण पुं [°मान] एक जैन
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org