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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
दारुअ-दि
काष्ठ का बना हुआ भाजन । °पुत्तय पुंदावणया स्त्री [दापना] दिलाना। [पुत्रक] कठपुतला । °मड पुं. भरत-क्षेत्र के दावद्दव पुंदावद्रव] वृक्ष-विशेष । एक भावी जिन-देव के पूर्वजन्म का नाम । दावर पुं [द्वापर] तीसरा युग । न. द्विक, दो। संकम पुं [संक्रम] काष्ठ का बना हुआ | जुम्म पुं [°युग्म] राशि-विशेष । पुल सेतु ।
दावाव सक [दापय] दिलाना । दारुअ पुं [दारुक] श्रीकृष्ण वासुदेव का एक दाविअ वि [द्रावित] झराया हुआ, टपकाया पुत्र जिसने भगवान् नेमिनाथ के पास दीक्षा हुआ । नरम किया हुआ। लेकर उत्तम गति प्राप्त की थी। श्रीकृष्ण का दास पुं. [दर्श] दर्शन, अवलोकन । एक सारथि । न. लकड़ी।
दास पुं. नौकर । धीवर । °चेड, °चेटग पुं दारुइज्ज वि दारुकीय] काष्ठ-निर्मित, लकड़ी [°चेट] छोटी उम्र का नौकर । नौकर का का बना हुआ । °पव्वय पं [पर्वत] काष्ठ __ लड़का । सच्च पुं [°सत्य] श्रीकृष्ण । का बना हुआ मालूम पड़ता पर्वत । दासरहि पुं [दाशरथि] राजा दशरथ का दारुण वि. विषम, भयंकर, भीषण । क्रोध-युक्त, पुत्र, रामचन्द्र । रौद्र । न. कष्ट, दुःख । दुर्भिक्ष ।
दासीखब्बडिया स्त्री [दासीकर्वटिका] जैन दारुणी स्त्री. विद्यादेवी-विशेष ।
मुनियों की एक शाखा। दालण न [दारण] विदारण, खण्डन ।
दाह पुं. ताप, जलन । दहन, भस्मीकरण । दालि स्त्री [दे, दालि] दाल, दला हुआ चना, रोग-विशेष । जर पुं [°ज्वर ज्वर-विशेष । अरहर, मंग आदि अन्न । राजि, रेखा,
°वक्कंतिय वि [ व्युत्क्रान्तिक] जिसको लकीर।
दाह उत्पन्न हुआ हो वह । दालिअ न [दे] नेत्र ।
दाहग वि [दाहक] जलानेवाला । दालिद्द देखो दारिद्द ।
दाहण न [दाहन] जलाना, भस्म कराना। दालिद्दिय देखो दारिदिय ।
दाहविय वि [दाहित] जलवाया हुआ। आग दालिम देखो दाडिम।
लगवाया हुआ। दालियंब न [दालिकाम्ल] दाल का बना | दाहिण देखो दक्खिण। °दारिय वि हुआ खाद्य-विशेष ।
[°द्वारिक] दक्षिण दिशा में जिसका द्वार हो दालिया स्त्री [दालिका] देखो दालि । वह । न. अश्विनी-प्रमुख सात नक्षत्र । दाली देखो दालि।
°पच्चत्थिम वि [°पश्चिमीय] दक्षिण और दाव सक [दर्शय] दिखलाना, बतलाना। पश्चिम दिशा के बीच का भाग, नैऋत कोण । दाव सक [दापय] दिलाना, दान करवाना। °पह पुं [पथ] दक्षिण देश की ओर का दाव देखो ताव = तावत् ।
रास्ता। दक्षिण देश । °पुरस्थिम वि दाव पुं. जंगल । देव । जंगल की अग्नि । ग्गि [पूर्वीय] दक्षिण और पूर्व दिशा के बीच पुं [°ग्नि] जंगल की आग । गणल पुं का भाग, अग्नि-कोण । वित्त वि [वर्त] ["नल] जंगल की आग।
दक्षिण में आवर्तवाला (शंख आदि)। दावण न [दामन] छान, पशुओं के पैर में | दाहिणी स्त्री [दक्षिणा] दक्षिण-दिशा । बाँधने की रस्सी।
दि वि. [द्वि] दो, दो की संख्यावाला। दावण न [दापन] दिलाना ।
| दि° देखो दिसा। °क्करि पुं [करिन्] दिग्
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