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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
पण्णपण्णिय-पत्त
पाँचवाँ अंग-ग्रन्थ, भगवती सूत्र । सूर्य- पण्णासग वि [पञ्चाशक] पचास वर्ष को उम्र प्रज्ञप्ति आदि उपांग ग्रन्थ । विद्या-विशेष। का। प्ररूपण, प्रतिपादन । °खेवणी स्त्री पण्णुवीस देखो पणुवीस। [°क्षेपणी] कथा का एक भेद । °पक्खेवणी पण्ह पुंस्त्री [प्रश्न] पृच्छा। वाहण न स्त्री [प्रक्षेपणी] कथा का एक भेद । [°वाहन] जैन मुनि-गण का एक कुल । पण्णपण्णिय पं [पण्णपणि] व्यन्तर देवों की। वागरण न [ व्याकरण] ग्यारहवां जैन एक जाति ।
अंग-ग्रन्थ । देखो पसिण। पण्णय देखो पण्णग।
पण्हअ अक [प्र+स्तु] झरना, टपकना । पण्णव सक [प्र+ज्ञापय] प्ररूपण करना, पण्हअ । [दे. प्रस्नव] स्तन से दूध का उपदेश करना, प्रतिपादन करना ।
पण्हव , झरना । झरना, टपकना। पण्णवग वि [प्रज्ञापक] प्ररूपक, प्रतिपादक ।
पण्हव पुं [पह्नव] अनार्य देश-विशेष । वि. पण्णवण न [प्रज्ञापन] प्ररूपण, प्रतिपादन ।।
उस देश का निवासी। शास्त्र, सिद्धान्त । वि. ज्ञापक, निरूपक ।।
पण्हविअ देखो पण्डअ। पण्णवणा स्त्री [प्रज्ञापना] प्ररूपणा, प्रति
| पण्हि पुंस्त्री [पाष्णि] फोली का अधोभाग, पादन । एक जैन आगम ग्रन्थ 'प्रज्ञापना' ।
गुल्फ का नीचला हिस्सा, एड़ी। सूत्र ।
पण्हिया स्त्री [प्रश्निका] एड़ी, गुल्फ का अधोपण्णवणी स्त्री [प्रज्ञापनी] अर्थबोधक भाषा ।
भाग। पण्णवण्ण स्त्रीन [दे. पञ्चपञ्चाशत्] पचपन ।
पण्हुअ वि [प्रस्तुत] क्षरित, झरा हुआ। पण्णवय देखो पण्णवग।
जिसने झरने का प्रारम्भ किया हो वह । पण्णवेत्तु वि [प्रज्ञापयितु] प्रतिपादक, प्ररूपण
पण्हुइर वि [प्रश्नोतृ] झरनेवाला । करनेवाला।
पण्होत्तर न [प्रश्नोत्तर] सवाल-जवाब । पण्णा .सक [प्र+ज्ञा] प्रकर्ष से जानना।
पतणु देखो पयणु । अच्छी तरह जानना।
पतार सक [प्र + तारय] ठगना । पण्णा स्त्री [प्रज्ञा] मनुष्य की दस अव- पतारग वि [प्रतारक] वञ्चक । स्थाओं में पांचवीं अवस्था । बुद्धि । ज्ञान ।। पतिण्ण वि [प्रतीर्ण] पार पहुँचा हुआ, परिसह, परीसह [°परिषह, 'परीषह] | निस्तीर्ण। बुद्धि का गर्व न करना । बुद्धि के अभाव में पतुण्ण न [प्रतुन्न] वल्कल का बना हुआ खेद न करना । °मय पुं [°मद] बुद्धि का वस्त्र । अभिमान । °वंत वि [°वत् ज्ञानवान् । पतेरस ) वि [प्रत्रयोदश] प्रकृष्ट तेरहवां । पण्णाग वि [प्रज्ञ] विद्वान् ।
पतेलस , °वास न [°वर्ष] प्रकृत तेरहवा पण्णाण न [प्रज्ञान] प्रकृष्ट ज्ञान । सम्यम् । वर्ष । प्रकृत तेरहवां वर्ष । प्रस्थित तेरहवाँ ज्ञान । आगम । °व वि [°वत्] ज्ञानवान् ।। वर्ष। शास्त्रज्ञ ।
पत्त वि [प्राप्त] मिला हुआ, पाया हुआ । पण्णाराह (अप) त्रि. ब. [पञ्चदशन्] पनरह। °काल, °याल न [°काल] चैत्य-विशेष । वि. पण्णावीसा स्त्री [पञ्चविंशति पचीस ।
अवसरोचित । पण्णास स्त्रीन [दे. पञ्चाशत्] पचास । पत्त न [पत्र] पत्ती, पत्ता, दल । पाँख ।
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