________________
णिहाय-णीम संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
४११ णिहाय देखो णिहा = नि +धा, नि + हा का | णिहुत्थिभगा स्त्री [दे] वनस्पति-विशेष । संकृ.।
णिहुव सक [ कामय् ] सम्भोग का अभिलाष णिहाय पुं [निहाद] अव्यक्त शब्द । करना। णिहार पुं निहार] निर्गम ।
णिहुवण न [निधुवन] सम्भोग । णिहारिम न निहरिम] जिसके मतक शरीर णिहूअ न [दे] मैथुन । वि. अकिश्चित्कर ।
को बाहर निकाल कर संस्कार किया जाय देखो णीय। उसका मरण । वि. दूर जानेवाला, दूर तक णिहेलण न [दे] गृह । जघन, स्त्री के कमर के फैलनेवाला।
नीचे का भाग। णिहाल देखो णिभाल।
णिहो अ [न्यग्] नीचे । णिहि वि [निधि] भण्डार । धन आदि से
णिहोड सक [नि + वारय ] निवारण करना,
निषेध करना। भरा हुआ पात्र । चक्रवर्ती राजा की सम्पत्तिविशेष, नैसर्प आदि नव निधि । पुंस्त्री. लगा
णिहोड सक [पातय ] गिराना। नाश
करना। तार नव दिन का उपवास । °नाह पुं
णी सक [ गम् ] जाना, गमन करना। [°नाथ] कुबेर । णिहिअ वि [निहित] स्थापित ।
णी सक [नी] ले जाना। जामना । ज्ञान णिहिण्ण वि [निभिन्न] विदारित ।
कराना, बतलाना। णिहित्त देखो णिहिअ ।
णीअअ वि [दे] समीचीन, सुन्दर । णिहिप्पंत देखो णिहा = नि+धा का कवकृ. ।।
णीआरण न [दे] बली रखने का छोटा हिल वि [निखिल] सब, सकल ।
कलश। णिहिल्लय देखो णिहि।
णीइ स्त्री [नीति] न्याय, उचित व्यवहार । णिही स्त्री [दे] वनस्पति-विशेष ।
नय, वस्तु के एक धर्म को मुख्यतया माननेणिहीण वि [निहीन] न्यून ।
वाला मत । °सत्थ न [°शास्त्र] नीति-प्रतिणिहीण वि [निहीन] तुच्छ, खराब, हलका,
पादक शास्त्र ।
णीका स्त्री [नीका] कुल्या, नहर, सारणि । णिहु स्त्री [स्निहु] औषधि-विशेष । णीखय वि [निःक्षत] निखिल, सम्पूर्ण । णिहुअ वि [निभृत] प्रच्छन्न । विनीत । मन्द । | णीचअ न [नीचैस्] नीचे । वि. अधः-स्थित । निश्चल, स्थिर । संभ्रमरहित । धारण किया पीछूट देखो णिच्छृढ । हुआ । निर्जन, एकान्त । अस्त होने के लिए | जीजूह देखो णिज्जूह =दे. निह । उपस्थित । उपशान्त ।
णीड देखो णिड्ड। णिहुअ वि [दे] व्यापार-रहित, अनुधुक्त, । णीण सक [गम्] जाना, गमन करना । निश्चेष्ट । तूष्णीक । न. मैथुन ।
णीण सक [नी] ले जाना। बाहर ले जाना, णिहुअण देखो णिहुवण ।
बाहर निकालना। णिहुआ स्त्री [दे] सम्भोग के लिए प्रार्थित | णीणिआ स्त्री [नीनिका] चतुरिन्द्रिय जन्तु स्त्री।
की एक जाति । णिहुण न [दे] व्यापार, धन्धा ।
णीम पुं [नीप] कदम्ब का पेड़ । म. फलणिहुत्त वि [दे] निमग्न ।
विशेष ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org