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चेअ
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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष चूलिय-चेदि पुंस्त्री. सिर का सर्वोत्तम आभूषण-विशेष, [ यात्रा] जिन-प्रतिमा-सम्बन्धी महोत्सवमुकुट-रत्न, शिरो-मणि । सर्वोत्तम । विशेष । °थूभ पु[स्तूप] जिन मन्दिर के चूलिय पु [चूलिक] अनार्य देश-विशेष । उस समीप का स्तूप । °दव्व न [°द्रव्य] देव-द्रव्य, देश का निवासी। स्त्रीन. संख्या-विशेष, जिन-मन्दिर-सम्बन्धी स्थावर या जंगम चूलिकांग को चौरासी लाख से गुणने पर जो मिल्कत । °परिवाडी स्त्री [°परिपाटी] क्रम संख्या लब्ध हो वह ।
से जिन-मन्दिरों की यात्रा। °मह पु. चैत्यचूलियंग न [चूलिकाङ्ग] संख्या-विशेष, प्रयुत सम्बन्धी उत्सव । रुक्ख पु [°वृक्ष] चबूतरा को चौरासी लाख से गुणने पर जो संख्या
वाला वृक्ष । जिन-देव को जिसके नीचे केवल लब्ध हो वह।
ज्ञान उत्पन्न होता है वह वृक्ष । देवताओं का चूलिया देखो चूला।
चिह्नभूत वृक्ष । देव-सभा के पास का वृक्ष । चूव (अप) देखो चूअ।
वन्दण न [°वन्दन] जिन-प्रतिमा की मन, चूह सक [ क्षिप् ] फेंकना, डालना, प्रेरणा ।
वचन और काया से स्तुति । "वास पुं. जिनचे अ [ चेत् ] यदि, जो, अगर ।
मन्दिर में यतियों का निवास । °हर देखो चे देखो चय = त्यज् ।
°घर। चे , देखो चि।
चेइअ वि [चेतित] कृत, विहित ।
चेंध देखो चिध। चेअ अक [ चित् ] सावधान होना, ख्याल चेच्चा चे = त्यज् का सं. कृ. । रखना । सुध आना, स्मरण करना । सक. चेट अक [चेष्ट] प्रयत्न करना, आचरण जानना । अनुभव करना।
करना। चेअ सक [ चेतय् ] ऊपर देखो। देना, अर्पण चेटू देखो चिट्ठ = स्था । करना, वितरण करना । करना, बनाना।
चेट्टण न [स्थान] स्थिति, अवस्थान ।
चेट्टण देखो चिट्ठण - चेष्टन । चेअ अ [एव] अवधारण-सूचक अव्यय, निश्चय बतानेवाला अव्यय ।
चेट्ठा स्त्री [चेष्टा] प्रयत्न, आचरण । चेअ न [ चेतस् ] चेतना, ज्ञान । मन, चित्त । चेड पुं [दे] बाल, कुमार । चेइ पु [चेदि] देश-विशेष । “वइ पु[पति] चेड पुं [चेट, °क नौकर नृप-विशेष, चेदि देश का राजा।
चेडग मैला देवता, देव की एक जघन्य चेइ° । पुन [चैत्य] चिता पर बनाया | चेडय जाति । चेइअ ) हुआ स्मारक, स्तूप, कबर या कब्र चेडिआ स्त्री [चेटिका] दासी । वगैरह स्मृतिचिह्न । व्यन्तर का स्थान । चेडी स्त्री चेटी] ऊपर देखो । . जिन-मन्दिर । इष्ट देव की मूर्ति, जिन- चेडी स्त्री [दे] कुमारी, बाला । देव की मूत्ति । उद्यान । सभा वृक्ष ।। चेत्त न चैत्य] चैत्य-विशेष । चबूतरावाला वृक्ष । देवों का चिह्न भूत वृक्ष । चेत्त पुचैत्र] चैत मास । जैन मुनियों का वह वृक्ष जहाँ जिनदेव को केवल ज्ञान उत्पन्न एक गच्छ। होता है। पेड़ । यज्ञ-स्थान । मनुष्यों का चेत्ती स्त्री [चैत्री] चैत मास की पूर्णिमा या विश्राम-स्थान । 'खंभ पुं [°स्तम्भ] स्तूप । अमावस ।। °घर न [गृह] जिन-मन्दिर । जत्ता स्त्री चेदि देखो चेइ ।
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