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जिणेंद-जीरण संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
३५३ जिणेंद देखो जिणिद।
| से प्रायः एक वर्ष तक जमीन में चिकनापन जिणेस पुं [जिनेश] जिन भगवान्, अर्हन् देव। रहता है । वि. कुटिल, कपटी। अलस । न. जिणेसर पुं [जिनेश्वर] अर्हन देव । विक्रम | कपट ।
की ग्यारहवीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध जैन | जिम्ह न [जैम्ह] कुटिलता, वक्रता, माया । आचार्य और ग्रन्थकार ।
जिव देखो जीव । जिण्ण वि[जीर्ण] पुराना, जर्जर । पचा हुआ। | जिव । (अप) देखो जिध । वृद्ध । सेट्ठि पुं[ श्रेष्ठिन्] पुराना सेठ । श्रेष्टि पद से च्युत ।
जिहा देखो जीहा। जिण्ण (अप) देखो जिअ = जित । जीअ देखो जीव = जीव् । जिण्णासा स्त्री [जिज्ञासा] जानने की इच्छा। जीअ देखो जीव == जीव, जल ।
जीअ देखो जीविअ । जिण्णीअ (अप) दखी जिाणय। जीअ न { जीत ] आचार, प्रथा, रूढ़ि। जिण्णोब्भवा स्त्री [दे] दूर्वा (घास)। प्रायश्चित से सम्बन्ध रखनेवाला एक तरह का जिण्हु वि [जिष्णु] विजयी। पु. अर्जुन । रिवाज, जन सूत्रों में उक्त रीति से भिन्न
विष्णु, श्रीकृष्ण । सूर्य । देव-नायक इन्द्र । तरह के प्रायश्चितों का परम्परागत आचार । जित्त देखो जिअ = जित ।
आचार-विशेष का प्रतिपादक ग्रन्थ । मर्यादा, जित्तिअ ) वि [ यावत् ] जितना । स्थिति, व्यवस्था। कप्प पुं [°कल्प ] जित्तिल
परम्परा से आगत आचार । परम्परागत जित्तुल (अप) ऊपर देखो।
आचार का प्रतिपादक ग्रन्थ । °कप्पिय वि जिध (अप) अ [यथा] जैसे, जिस तरह से । [°कल्पिक] जीत कल्पवाला । धर वि. जिन्नासिय वि [जिज्ञासित] जानने के लिए आचार-विशेष का जानकार । एक जैनाचार्य। चाहा हुआ।
°ववहार पुं[°व्यवहार] परम्परा के अनुसार जिन्नुद्धार पुं [जीर्णोद्धार] पुराने और टूटे- |
व्यवहार ।
जीअण देखो जीवण । फूटे मन्दिर आदि का सुधारना । जिब्भ पु[जिह्व] एक नरक स्थान । जीअब वि [जीवितवत्] जीवितवाला, श्रेष्ठ जिब्भा स्त्री [जिह्वा] जीभ ।
जीवनवाला। जिभिंदिय न [जिह्वेन्द्रिय] रसनेन्द्रिय । जीआ स्त्री [ज्या] धनुष की डोर । पृथिवी । जिब्भिया स्त्री [जिबिका] जीभ । जीभ के माता। आकारवाली चीज ।
जीण न [दे. अजिन] अश्व की पीठ पर जिम सक [ जिम्, भुज् ] भोजन करना।
बिछाया जाता चर्ममय आसन । जिम (अप) देखो जिध।
जीमूअ पुं [जीमूत] मेघ, वर्षा । मेघ-विशेष, जिमण न [जेमन] जिमाना ।
जिसके बरसने से जमीन दस वर्ष तक चिकनी जिमिअ वि [जिमित, भुक्त] जिसने भोजन | रहती है।
किया हुआ हो वह । जो खाया गया हो वह । | जीर' देखो जर = » । जिम्म देखो जिम = जिम्। . जीरण न [जीर्ण] अन्न पाक । वि. पुराना, जिम्ह पु[जिह्म मेघ-विशेष, जिसके बरसने पचा हुआ ।
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