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सास-अ
ईसास देखो इस्सास । ईसि अ [ ईषत् ] अल्प | पृथिवी - विशेष, सिद्धिक्षेत्र, मुक्तभूमि । पब्भार वि[ प्राग्भार] थोड़ा अवनत । पब्भारा स्त्री [प्राग्भारा ] पृथिवी - विशेष, सिद्धि क्षेत्र | ईसिअ न [ ईष्यित ] ईर्ष्या, द्वेष । वि. जिसपर
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
ईसि
ईसी
ईह सक [ई, ईह ] देखना । विचारना । चेष्टा करना ।
ईहा स्त्री. विचार, ऊहापोह, विमर्श । चेष्टा, प्रयत्न । मति - ज्ञान का एक भेद । मिग, ° मय पुं [ मृग ] वृक, भेड़िया । नाटक का एक भेद |
हा स्त्री [ ईक्षा] अवलोकन, विलोकन |
ईर्ष्या की गई हो वह ।
ईसिअ न [ दे] भील के सिर पर का पत्रपुट या पगड़ी | वि. वशीकृत ।
उ पुं, प्राकृत वर्णमाला का पञ्चम अक्षर, स्वरविशेष । उपयोग रखना, ख्याल करना । गति - क्रिया ।
उ अ. इन अर्थों का सूचक अव्यय - सम्बोधन, आमन्त्रण | कोप- वचन । अनुकम्पा । नियोग, हुकुम । आश्चर्य । स्वीकार । पृच्छा । उअ [तु] इन अर्थों का सूचक अव्यय - विशेषण । कारण । समुच्चय और । निश्चय । किन्तु । आज्ञा । प्रशंसा । विनिग्रह । शंका की निवृत्ति । पादपूर्ति के लिए भी इसका प्रयोग होता है ।
उ देखो उव ।
उ° अ [उत्] इन अर्थों का सूचक ऊर्ध्व । विपरीत | अभाव | ज्यादा, अ अ [] विलोकन करो, देखो । अ अ [उत] इन अर्थों का सूचक अव्यय - विकल्प । वितर्क, विमर्श । प्रश्न । समुच्चय । अतिशय ।
उअ अ [दे] ऋजु ।
उअ देखो उव ।
अव्यय - विशेष |
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समुद्र ।
उअ वि [ उदञ्च] उत्तर, उत्तर दिशा में स्थित | महिहर पुं [° महिधर] चलपर्वत ।
हिमा -
१८
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देखो ईसि ।
उअअ न [ उदक] पानी । उअअ देखो उदय ।
उअअ न [ उदर] पेट | उअअ वि [ दे] सरल, सीधा । उअअद (शौ) देखो उवगय । उअआरअवि [ उपकारक ] उपकार करने
वाला |
अआरिवि [ उपकारिन्] ऊपर देखो । अवि [ उपजीव्य ] आश्रय करने योग्य, सेवा करने योग्य |
उअ न [उद] पानी | °सिंधु पुं [° सिन्धु ] उअगअ देखो उनगय ।
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अहसक [उप + गूह ] आलिंगन करना । उअएस देखो उवएस ।
उअंचण न [ उदञ्चन] ऊँचा फेंकना या उठाना, ढकने का पात्र ।
अंचिद (शौ) वि [ उदञ्चित] ऊँचा उठाया हुआ, ऊँचा फेंका हुआ ।
अंत पुं [ उदन्त] हकीकत, वृत्तान्त | उअकिद (शौ) वि [ उपकृत ] जिसपर उपकार
किया गया हो वह |
उअक्किअ वि [दे] पुरस्कृत, आगे किया हुआ ।
अचित्त व [] अपगत, निवृत्त ।
उअजीवि वि [ उपजीविन् ] आश्रित । उअज्झाअ देखो उवज्झाय ।
अस्त्र [] नीवी, स्त्री के कटि-वस्त्र की
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