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११४ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दो कोष
आय -आयड्ढि जिसके प्रभाव से स्पर्श मात्र से ही सब रोग। का पात्र-विशेष, जिसमें वह पात्र बनाने के नष्ट होते हैं।
समय मिट्टीवाला पानी रखता है। आय पुं. लाभ, प्राप्ति, फायदा। वनस्पति- आयंचणी स्त्री [आतश्चनी] ऊपर देखो । विशेष । कारण, हेतु । अध्ययन । गमन । आयंत वि [आचान्त] जिसने आचमन किया आय पुं [आय] अध्ययन, शास्त्रांश-विशेष ।। हो वह । आय वि [आज] अज-सम्बन्धी । बकरे के बाल आयंतम वि [आत्मतम] आत्मा को खिन्न से उत्पन्न (वस्त्रादि)।
करनेवाला। आय वि [आगत] आया हुआ (काल)। आयंतम वि [आत्मतमस्] अज्ञानी, अजान । आय वि [आत्त] गृहीत ।
क्रोधी । आय पुं [आगस्] पाप । अपराध । आयंदम वि [आत्मदम] आत्मा को शान्त आय पुंस्त्री [आत्मन्] आत्मा, जीव । निज, रखनेवाला, मन और इन्द्रियों का निग्रह स्वयं । शरीर । ज्ञान आदि आत्मा के गुण। करनेवाला । अश्व आदि को संयत रहने को 'गुत्त वि [गुप्त] जितेन्द्रिय । जोगि वि सिखानेवाला। [°योगिन]मुमुक्षु, ध्यानी । °ट्टि वि [°र्थिन्]
आयंप पुं [आकम्प] काँपना, हिलना । कंपानेमुमुक्षु । तंत वि [तन्त्र] स्वाधीन । 'तत्त
वाला । न [तत्त्व] परम पदार्थ, ज्ञानादि रत्न-त्रय । आयंब अक [वेप्] काँपना, हिलना। °प्पमाण वि [प्रमाण] साढ़े तीन हाथ का | आयंब , वि [आताम्र] थोड़ा लाल । परिमाण वाला। पवाय न प्रवाद] आयंबिर । बारहवें जैन अङ्ग ग्रन्थ का एक भाग, सातवाँ आयंबिल न [आचाम्ल]तपो-विशेष, आम्बिल । पूर्व । °भाव पुं. आत्म-स्वरूप । निज-अभि- वड्ढमाण न [°वर्धमान] तपश्चर्या-विशेष । प्राय । विषयासक्ति । °य पुं [°ज] पुत्र, आयंबिलिय वि [आचाम्लिक] आम्बिल-तप लड़का । रक्ख वि [°रक्ष] अङ्गरक्षक । का कर्ता । व वि [°वत्] ज्ञानादि आत्मगुणों से आयंभर । वि [आत्मम्भरि] स्वार्थी । सम्पन्न । हम्म वि [°न] आत्मा को अधो- आयंभरि गति में ले जानेवाला । देखो आहाकम्म। आयंव अक [आ + कम्प् ] कांपना, हिलना। आय° देखो आवइ।
आयंस पुं [आदर्श] दर्पण । बैल आदि के गले आयइ स्त्री [आयति] भविष्य काल ।
का भूषण-विशेष । °मुह पुं [°मुख] एक आयइजणग न [आयतिजनक] तपश्चर्या- अन्तर्वीप । उसके निवासी मनुष्य । विशेष ।
आयक्ख देखो आइक्ख । आयंक पुं [आतङ्क] दुःख । पीड़ा। दुःसाध्य आयग वि [आजक] देखो आय = आज । आशु-घाती रोग।
आयज्झ अक [वेप्] काँपना, हिलना । आयंकि वि [आतङ्किन्] रोगी।
आयट्ट सक [आ+ वर्तय] घुमाना। उबाआयंगुल न [आत्माङ्गुल] परिमाण का एक लना। भेद ।
आयड्ढ सक [आ + कृष्] खींचना । आयंच सक [आ + तञ्च्] सींचना। आयड्ढण न [आकर्षण] आकर्षण, खिंचाव । आयंचणिया स्त्री [आतञ्चनिका] कुम्भकार आयड्ढि स्त्री [आकृष्टि] ऊपर देखो ।
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