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मैं अपने गांव जाता था तो मैं वर्षों के बाद जाता और हर चीज लगभग वही होती। स्टेशन पर मुझे वही कुली मिलता, क्योंकि एक ही कुली है वहां वह का होता जा रहा है, पर है वही आदमी। मुझे तांगे वाला मिलता, क्योंकि बहुत थोड़े तांगे हैं वहां और उनमें से एक सदा मुझ पर अधिकार दिखाता, कि मैं उसकी सवारी हूं। और वह बहुत मजबूत आदमी है, इसलिए कोई लड़ नहीं सकता उससे, तो वह पकड़ लेता मुझे और जबरदस्ती बिठा देता मुझे अपने तांगे में और फिर वही चीजें सामने आती चली जातीं, जैसे कि मैं स्मृति में यात्रा कर रहा हूं वास्तविक संसार में नहीं मुझे वही वही आदमी सड़क पर मिलते। कई बार कोई मर गया होता और वही बहुत बड़ी खबर होती अन्यथा संसार चलता वर्तुल में : वही सब्जी वाला होता, वही दूध वाला होता - हर चीज वही ! लगभग स्थिर ही। पश्चिम में कोई चीज स्थिर नहीं है, और हर चीज नया समाचार है। तुम कुछ समय बाद घर लौटोहर चीज बदल गई होती है हो सकता है तुम्हारी मां तुम्हारे पिता को तलाक दे चुकी हो, हो सकता है तुम्हारा पिता किसी दूसरी स्त्री के साथ भाग गया हो; घर जैसा वहां कोई घर नहीं होता-परिवार क कोई अस्तित्व ही नहीं है !
मैं अमरीकी ढंग के जीवन के विषय से संबंधित एक लेख पढ़ रहा था। लगभग हर आदमी अपना काम बदल लेता है तीन वर्षों में; अपना शहर भी बदल लेता है तीन वर्षों में। हर चीज बदलती रहती है और लोग जल्दी में हैं। और लोग ज्यादा से ज्यादा तेज दौड़ रहे हैं और कोई फिक्र नहीं करता कि कहां जा रहे हो तुम।
और सात्विक समाज कहीं है नहीं। केवल बहुत थोड़े से व्यक्ति कई बार इतने संतुलित होते हैं कि तमस और रजस बिलकुल एक ही अनुपात में होते हैं। उनके पास पर्याप्त ऊर्जा होती है सक्रिय होने के लिए, और उनके पास पर्याप्त समझ होती है विश्राम करने के लिए वे अपने जीवन को एक लयबद्धता बना लेते हैं: दिन में वे सक्रिय रहते हैं; रात को वे विश्राम करते हैं।
पूरब में दिन में भी वे विश्राम करते हैं। पश्चिम में रात में भी वे सक्रिय रहते हैं अपने सिरों में, स्वम्नों में सारे पश्चिमी स्वप्न दुख स्वप्न बन गए हैं। पूरब में तुम्हें ऐसी आदिवासी जातियां मिल सकती हैं जो नहीं जानतीं कि स्वप्न क्या होता है। यह बिलकुल सच है। मैं भारत की कुछ आदिवासी जातियों के संपर्क में आया हूं. यदि तुम उनके स्वप्नों के विषय में पूछो तो वे कहते हैं, आपका मतलब क्या है?' बहुत कम ऐसा होता है, और जब ऐसा होता है तो यह गांव की एक बड़ी खबर होती है कि किसी को स्वप्न आया क्योंकि लोग तो स्वप्न-रहित विश्राम कर रहे होते हैं। पश्चिम में तो नींद असंभव हो गई है, क्योंकि स्वप्न इतने चल रहे हैं और इतनी तीव्रता से चल रहे हैं, कि हर चीज कंपित हो रही है कोई चीज संतुलन में नहीं मालूम पड़ती। पूरब में हर चीज मुर्दा है।
सत्व तभी संभव है जब रजस और तमस दोनों संतुलन में होते हैं। जब तुम जानते हो कि कब काम करना है और कब विश्राम करना है; जब तुम जानते हो कि दफ्तर को दफ्तर में ही कैसे छोड़ आना है