Book Title: Nitishastra
Author(s): Shanti Joshi
Publisher: Rajkamal Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ अन्तर्बोध का व्यापक प्रयोग अन्तर्बोध-उसका अर्थ : कानून : धर्म : सुखवाद : प्रचलित अर्थ : अन्तर्बोध की उपर्युक्त परिभाषाओं की सीमाएँ-सहजज्ञानवाद के अनुसार अन्तर्बोध का अर्थ।। अध्याय १७ : सहजज्ञानवाद (परिशेष) " (रसप) २४६-२६५ कुछ महत्त्वपूर्ण सहजज्ञानवादी बुद्धिवादी सहजज्ञानवाद-परिचय कडवर्थ नैतिक विभक्तियाँ शाश्वत हैं : प्लेटो का प्रभाव : वैज्ञानिक और . नैतिक सत्यों का सादृश्य : अन्तर्बोध और शुभ आचरण। : बुद्धिवादी सहजज्ञानवाद का पालोचनात्मक मूल्यांकन हॉब्स के स्वार्थवाद पर असफल आघात : शुभ का स्वरूप-अमूर्त : हॉब्सवाद के मुख्य भेद-निष्पक्षता का सिद्धान्त, व्यावहारिक और चिन्तन बुद्धि का क्षेत्र : गणित और पदार्थ विज्ञान के रूपक की सीमाएँ। नैतिक बोधवाद सामान्य परिचय : हॉब्स की आलोचना : बुद्धिवादी सहजज्ञानवादियों से भेद । नैतिक बोधवाद की आलोचना नैतिक बोध का हठपूर्वक समर्थन : महत्त्वपूर्ण देन । बटलर आन्तरिक और बाह्य निरीक्षण अन्तर्बोध के सर्वोच्च अधिकार की स्थापना करता है : धार्मिक मनोवृत्ति-समाज का आवयविक रूपक : मनुष्य का स्वभाव-सामाजिक : मानव-स्वभाव भी एक विधान है : विधान की धारणा--- सक्रिय प्रवृत्तियों का विधान : अन्तर्बोध तथा अन्य प्रवृत्तियाँ : अन्तर्बोध : अन्तर्बोध और स्वाभाविक : नैतिक बोध और अन्तर्बोध । [ १२ ] Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 ... 372