Book Title: Nitishastra
Author(s): Shanti Joshi
Publisher: Rajkamal Prakashan

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Page 11
________________ सहजज्ञानवादी उपयोगितावाद के साथ सुखवाद की आलोचना सिविक के सिद्धान्त का मूल्य : स्वार्थ परमार्थ का अनमोल मिलाप : सुख और आनन्द | अध्याय १३ : विकासवादी सुखवाद : सामान्य परिचय १७७-२०३ विकास की प्राकृतिक और श्रादर्शवादी व्याख्या : नीतिशास्त्र को safar की देन : विचारकों द्वारा विकासवाद की व्याख्या | विकासवादी सुखवाद : विकासवादी नीतिज्ञ - स्पेंसर : विकास की धारणा का नीति में प्रवेश - नैतिकता विश्व - प्रकृति का अंग : शुभ-अशुभ और सुखदुःख के अर्थ सन्निकट ध्येय और परम ध्येय - नैतिक मापदण्ड : स्वार्थ और परमार्थ : नैतिक चेतना की उत्पत्ति : नैतिक नियम अनुभवनिरपेक्ष नहीं हैं : समाज की व्याख्या : सापेक्ष और निरपेक्ष नीतिशास्त्र | नैतिक ध्येय - स्वास्थ्य | अलेग्जेण्डर सामाजिक सन्तुलन : नैतिकता के क्षेत्र में प्राकृतिक चयन | लेस्ली स्टीफेन श्रालोचना नैतिकता का प्राकृतिक विज्ञान : इसे सुखवाद कहना भ्रान्तिपूर्ण है : अनावश्यक आशावाद : सामंजस्य : सामाजिक जीवरचना का रूपक सन्देहजनक है: सहजज्ञानवाद का विरोध - नैतिकता की उत्पत्ति : कर्तव्य की भावना; स्वार्थ- परमार्थ का प्रश्न : नैतिक कठिनाई | अध्याय १४ : बुद्धिपरतावाद सामान्य परिचय : दो रूप । प्राचीन उग्र बुद्धिपरतावाद : सिनिक्स श्रौर स्टोइक्स सद्गुण सुखवाद का खण्डन : सिनिक [ १० ] सिनिक्स : विद्वेषवाद : ध्येय Jain Education International : २०४-२१५ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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