Book Title: Nitishastra
Author(s): Shanti Joshi
Publisher: Rajkamal Prakashan

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Page 9
________________ प्राचीन सुखवाद प्रथवा मनोवैज्ञानिक सुखवाद 110 स्वार्थ सुखवाद : स्थूल सुखवाद - सिरेनैक्स : जीवन का ध्येय -- तीव्र इन्द्रियसुख : सुख का स्वरूप - तात्कालिक, अनुभवगम्य, अधिक परिमाण : सुख कर्मों का एकमात्र प्रेरक : कर्मों के तत्कालीन परिणाम महत्त्वपूर्ण - शुभ, अशुभ के सूचक : सिद्धान्त में गोपन विरोध : संस्कृत सुखवाद - ऍपिक्यूरियनिज्म : ध्येय - सुख ; यही शुभ आचरण का मापदण्ड : उचित सुखों को अपनाने के लिए विवेकबुद्धि आवश्यक : सुख - दो प्रकार ; ऐन्द्रियक, बौद्धिक : बौद्धिक सुख की श्रेष्ठता - सिरेनैक्स से मतभेद : बौद्धिक सुख - शान्त सुख : प्रणुवाद - भय से मुक्ति : सद्गुण - अनिवार्य साधन : संस्कृत सुखवाद में कठिनाइयाँ : विलासिता से मुक्त नहीं । मनोवैज्ञानिक सुखवाद की आलोचना जड़वादी तत्त्वदर्शन - स्थूल सुखवाद : केवल इन्द्रियसुख - बुद्धि, इच्छा एक-दूसरे के पूरक हैं : असामाजिक, व्यावहारिक तथा अनैतिक : सुखवाद में विरोध : प्रभाव - बस्तुगत मापदण्ड, गुणात्मक भेद, प्रेरणा, कर्तव्य : मनोवैज्ञानिक भ्रान्ति - चयन के क्रियात्मक और हेत्वात्मक पक्ष : पशुधर्म : सुखवाद का मूल्य । श्रध्याय ११ : सुखवाद ( ( परिशेष ) अर्वाचीन सुखवाद प्राचीन सुखवाद से भिन्नता । नैतिक प्रदेश सुख और कर्तव्य में विरोध : समन्वय की ओर प्रयास - नैतिक आदेश का अर्थ | अर्वाचीन सुखवाद : नैतिक सुखवाद अर्वाचीन सुखवाद नैतिक है : दो प्रकार - स्वार्थ, परार्थं । Jain Education International १३४-१६४ स्वार्थ सुखवाद : हॉब्स जड़वाद, इन्द्रियसुखवादी मनोविज्ञान और नैतिक स्वार्थवाद का [ 5 ] For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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