Book Title: Namokar Granth
Author(s): Deshbhushan Aacharya
Publisher: Gajendra Publication Delhi

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Page 293
________________ २७० ममोकार च तीर्थकर श्री अजितनाथ भगवान ने जन्म लिया। इनका पहला भव-वैजयन्त नामा, दूसरा अनुत्तर विमान। गर्भतिथि प्राषाढ़ कृष्ण २ । जन्म स्थान-अयोध्यापुरी । पिता का नाम श्री जितशत्रु । माता का नाम-विजयसेना देवी । बंश-इक्ष्वाकु । जन्म तिथि माघ शुक्ला १०, शरीर का वर्ण सुवर्णसम । चिह्न गज। शरीर की ऊंचाई.-४५० धनुष । प्रायु प्रमाण चहत्तर लाख पूर्व । कुमार काल -अठारह लाख पूर्व । राज्यकाल-५३ लाख पूर्व और एक पूर्वांग व चौरासी लाख वर्ष । पाणि ग्रहण किया। समकालीन प्रधान राजा-सगर चक्रवर्ती। दीक्षा तिथि-माघ शुक्ल १० । तप कल्याणक के गमन समय की पालकी का नाम सिद्धार्थ । भगवान के साथ दीक्षा लेने वाले राजारों की संख्या-१००० । दीक्षा वक्ष-सप्तपर्ण वृक्ष । तपोवन - सहस्रान यन । वैराग्य का कारण उल्कापात होते देखना । दीक्षा समय अपरान्ह । दीक्षा लेने के कितने दिवस पश्चात प्रथम प्रथम पारणा किया-अरिष्ट पुर (अयोध्या) प्रथम पाहारदाता का नाम-ब्रह्मदत्त । तपश्चरण का कालबारह वर्ष । केवल ज्ञान तिथि-पौष शुक्ल चतुर्थी । केवलशान समय अपरान्ह काल । केवल ज्ञान स्थान मनोहर वन । समवशरण का प्रमाण-साढ़े ग्यारह योजन- गणधर संख्या-नब्बे । मरुप गणधर का नामसिंहसेन । वादियों की संख्या वारह हजार चार सौ । चौदह पूर्व के पाठी तीन हजार सात सौ पत्रास । प्राचारोंग सूत्र के पाठी शिष्य मुनि इक्कीस हजार छह सौ । मनः पर्यय ज्ञानी मुनियों की संख्या-बारह हजार पाँच सौ । वादिन ऋद्धिधारी मनियों यो संख्या बारह हजार चार सौ। विक्रिया ऋद्धिधारी मुनियों की संख्या बीस हजार चार सौ केवल ज्ञानियों की संख्या-बीस हजार समस्त मुनियों की संख्या एक लाख । नायिकायों की संख्या तीन लाख पचास हजार। मुख्य प्रायिका का नाम फाल्मु । श्रावकों को संख्या-तीन लाख श्राविकानों की संख्या पाँच लाख । समवशरण काल एक लाख पूर्व में एक पूर्वाग और बारह वर्ष कम । मोक्ष जाने के कितने दिन पहले समवशरण बिघटा-तीस दिन । निर्वाण तिथि चैत्र शुक्ल पंचमी । निर्वाण नक्षत्र-रोहिणी। मोक्ष जाने का समयः पूर्वाह्न । मोक्ष जाने के समय का ग्रासन कायोत्सर्ग । मोक्षस्थान -- सम्मेदशिखर सिद्धवरकूट। भगवान के मुक्ति गमन के समय में कितने भुनि साथ मोक्ष गए१००० । समवशरण से समस्त कितने मुनि मोक्ष गए-सतत्तर हजार एक सौ। एक तीर्थकर से दूसरे तीर्थकर तक अन्तर काल-तीस लाख कोटिं सागर । इति श्री अजितनाथ तीर्थकरस्य विवरण समाप्तः । अथ श्री संभवनाथ तीर्थकरस्य विवरण प्रारंभः ॥ श्री अजित नाथ भगवान के निर्वाण होन पनन्तर तीस लाख कोटि सागर बाद श्री संभवनाथ भगवान ने जन्म लिया। इनका पहला भव अधेयक रिमान ! गर्भ तिथि फाल्गुन शुक्ल । जन्म स्थान-श्रावस्ती (अयोध्या)। पिता का नाम श्री-जितारि। माता नाम-सुसेना देवी। वंश-- इक्ष्वाकु । जन्मतिथि-कार्तिक शुक्ल १५ । शरीर वर्ण-सुवर्णसम । चिन्ह-अश्व । शरीर की ऊँचाई ४०० धनुष । प्रायु प्रमाण -साठ लाख पूर्व । कुमार काल १५ लाख पूर्व । राज्यकाल-४४ लाल पूर्व और ४ पूर्वांग । पाणिग्रहण किया । समकालीन प्रधान राजा का नाम-सत्यवीर्य। दीक्षा तिथि-- मार्गशीर्ष शुक्ल १५ । तप कल्याणक के गमन समय की पालकी का नाम----सिद्धार्थी। भगवान के साथ दीक्षा देने वालों की संख्या-१००० । दीक्षा वृक्ष-शाल्मली वृक्ष । सपोवन-सहस्त्राभ्रवन (भयोध्या)। वैराग्य का कारण-मेघों का विघटना देखना । दीक्षा समय-अपरान्ह । दीक्षा लेने के पचात OM11 पापा .१५प्रथम

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