Book Title: Namokar Granth
Author(s): Deshbhushan Aacharya
Publisher: Gajendra Publication Delhi

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Page 427
________________ 404 णमोकार ग्रंथ जयमाला अर्हत; सुरराज पूजित पदाः, सिखा लसत्सद्गुणाः / प्राचार्याः सुचरित्र साधनापराः अध्यापका धीश्वराः / सिद्धा: साधन साधवाऽत्रभुवने सबबुद्धयः साधवः / पंचैते परमेष्ठिनो निजगुणान्, यच्छंतु चाराधिताः // 1 // कम कलंक निवारण कारण ध्यान कराः / भव्य समूह समुद्धरणक जिनेश्वरा: / / सिद्ध वधू वरवांछित लांछिन बोधधराः / जन्मजरामृति रोग निवारण सिद्धवराः // 2 // पाचरणे सुविचारपरा:, शुभध्यान धराः / भूरिभवार्णवतारण कारण पीतवराः // दीक्षित बुद्धि समुद्र विवर्षन चन्द्र कराः / पाठकतागुण धारण पाठक नाम धराः / / 3 / / सौम्य दृगं कुंशमार मतंगज मानभिदं / साधु समूहमहं प्रयजे गुरु ज्ञान विदं // पाप हर महामंत्रपर प्रणमंति नराः / ये निज भक्तिभरण त्रिसंधि विवेक पराः // 4 // ते सर सय लमन्ति निरंतर सौख्यभरं। देवगणैः परिशोभितमधि विदरतरं // इन्द्र नरेन्द्र फणींद्र खगेन्द्र विभूति प्रदं / जाप्यजपाक फलेण जलेन जलोदरदं // 5 // भूतगणं ग्रहचौररण, मणि मन्त्र परं / नाशयतीह च पापधनाधनवातभरं / प्रातर रं जपनीयपरं पर भक्तिभरैः। श्रावक: करुणारसपानमहाचतुरे: // 6 / / इत्थं पंचप्रभून वै वर विधि-सहिता श्रावकाः पूजयन्ति / / येते धागभिःस्तुवंति, प्रगुणित परमाह्लाद भाजो भवन्ति // 7 // तेषां व पंचत्रिशत् सुगुणितगणनाम संयुताना निमित्त / / वर्णानां सोपवासंविधि मनति नयं संविधिते स भव्यः || वत्सरे युग नवाश्च चन्द्रके / (सं. 1792) माधवासित चतुर्दशी दिने / / नूसने जयपुरे पुरेशिनि / राजमान जयसिंह राजनि // 6 // वाणी गच्छे गच्छाधीशः शमजातो विद्यानन्दी विद्याधीनं / / समजताः तेषांशिष्यः शिष्य मुख्योऽक्षय राम / पूजामेनामुच्चैश्चक्र-अक्षयरामः / इति श्री नवकार पंच त्रिशतिकोद्यापन पूजा सम्पूर्णा // णमोकार पतीसी के उपवास-३५ / सप्तमी के 7 // पंचमी के च / चतुर्दशी के 14 / नवमी के / ऐसे उपवास 35 होते हैं।

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