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गमोकार मंच
६०००। मनः पर्ययज्ञानी मुनियों की संख्या-६२००० । पायिकाओं को संख्या-६०३०० । मुख्य मायिका का नाम--शुधि । श्रायकों की संख्या-दो लाख । श्राविकाओं को संख्या-दो लाख। श्राविकानों की संख्या-४०००००।
समवशरण काल एक वर्ष कम २५००० वर्ष ; मोक्ष गमन से चौदह दिन पहले समवशरण विषटा । निर्वाण तिषि-ज्येष्ठ कृष्ण चौदश । निर्वाण नक्षत्र-भरणी । मोक्ष जाने का समय-रात्रि । मोक्ष जाने के समय का मासन-कायोत्सर्ग । मोक्ष स्थान-सम्मेद शिखर(शान्तिप्रद) । भगवान के मुक्ति गमन के समय नौ सौ मुनि मोक्ष गए । समवशरण से समस्त ४८४०० मुनि मोक्ष गए।
इति श्री शान्तिनाथ तीर्थकरम्प विवरणम् ।
अथ श्रीकुथुनाथ तीर्थकरस्य विवरण प्रारम्भ : - श्री शान्तिनाथ भगवान के निर्वाण होने के प्रनन्तर प्राधा पल्य व्यतीत होने के बाद श्री कंथुनाथ भगवान ने सर्वार्थ सिद्धि से चयकर इस पावन भारत वर्ष के हस्तिनापुर नामक नगर में जन्म लेकर असंख्य जीवों को संसार सागर से पार किया। पिता का नाम - सूर्यप्रभ । माता का नामश्रीमती देवी । वंश -कुरु । गर्भ तिथि-श्रावण कृष्ण दशमी । जन्म तिथि-वैशाख शुक्ल एकम् । जन्म नक्षत्र-कृतिका। चिन्ह-बकरा। शरीर प्रमाण-पतीस धनुष । आयु प्रमाण-६५ हजार वर्ष । कुमार काल-२३७५० बर्ष । राज्य काल-४७५० वर्ष । पाणिग्रहण किया।
___ समकालीन प्रधान राजा का नाम -- कुनलराय । दीक्षा तिथि –वैशाख शुक्ल एकम। भगवान के तप कल्याणक के गमन के समय की पालकी का नाम-विजया। भगवान के साथ दीक्षा लेने वाले रामानों की संख्या-१०००। दीक्षा वृक्ष-तिलक वृक्ष । तपोवन-सहस्त्राभवन (हस्तिनापुर)। वैराग्य का कार :-उल्का
दीक्षा समय-प्रपरान्ह । दीक्षा लेने के एक बेला पश्चात् प्रथम पारणा किया नाम नगर जहाँ प्रथम पारणा किया। मंदरपुर (श्वेतपुर)। प्रथम पाहार दाता का नाम-अपराजित । तपश्चरण काल-सोलह वर्ष । केवल ज्ञान तिथि-चैत्र शुक्ल ३ । केवल शान समय–अपरान्ह काल । केवल ज्ञान स्थान-मनोहर वन।
समवशरण का प्रमाण--चार योजन । गणघर संख्या-पैंतीस । मुख्य गणधर का नाम-स्वयंभू । वादियों की संख्या-२०००। पौदह पूर्व के पाठी-सात सौ । प्राचारांग सूत्र के पाठी शिष्य मुनि .. ४३१५० । अवधि ज्ञानी मुनियों की संख्या-२५०० । केवल ज्ञानियों की संख्या-३२०० । विक्रिया विधारी मनियों की संख्या-११०० । मनः पर्यय ज्ञानी मुनियों की संख्या-६००० । प्रायिकाओं की संख्या-६०३५० । मुख्य मायिका का नाम-दामिनि । श्रावकों की संख्या एक लाख । श्राविकामों की संख्या-तीन लाख ।
समवशरण काल-२३७३४ वर्ष । मोक्ष गमन से तीस दिन पहले समवशरण विघटा। निर्वाण तिथि-वैशाख शुक्ल १ । निर्वाण नक्षत्र--कृतिका । मोक्ष जाने का समय-रात्रि । मोक्ष गमन के समय का प्रासन-कायोत्सर्ग । मोक्ष स्थान-सम्मेद शिखर (शानधर कूट) । भगवान के मुक्ति गमन के समय ४६८०० मुनि मोक्ष गए। समवशरण से समस्त १००० मुनि मोक्ष गए। इनके तीर्थ में चौबीस केवली
इति श्री कुंपुनाथ तीर्षकरस्य विवरणम् ।