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[ मूलाचारस्य
शील और गुणों के संख्या, प्रसार, अक्षसंक्रम, नष्ट __ ओर उद्दिष्ट, इन पाँच विकल्पों का निर्देश संख्या निकालने की विधि प्रस्तार बनाने की विधि अक्षसंक्रम के द्वारा शील-गुणों का प्रतिपादन और
उच्चारण के द्वारा भंग निकालने की विधि नष्ट निकालने को विधि और प्रकरण का समारोप
१०३७ १०३८-१०३६
१६१ १९२-१६५
१०४०-१०४१ १०४२-१०४३
१६६-१६८ १६८-२०३
१०४४-१०४६ १०४७-१०४६ १०५०-१०५१ १०५२-१०५६
२०४-२०६ २०६-२०६ २०६-२१० २१०-२१४
१२. पर्याप्स्यधिकार मंगलाचरण और प्रतिज्ञावाक्य के साथ पर्याप्ति
अधिकार में वर्णनीय पर्याप्ति आदि बीस सूत्रपदों
का नामोल्लेख 'पर्याप्तियों के नाम और स्वामी पर्याप्तियों के पूर्ण होने का काल देह सूत्र के अन्तर्गत देवों के शरीर का वर्णन नारकियों के वेक्रियिक देह का वर्णन । तदन्तर्गत प्रथम पृथिवी के नारकियों के शरीर को अवगाहना
का निरूपण द्वितीय पृथिवी के नारकियों की अवगाहना तृतीय पृथिवो के नारकियों की अवगाहना चतुर्थ पृथिवो के नारकियों की अवगाहना पंचम पथिवी के नारकियों की अवगाहना षष्ठ पृथिवी के नारकियों की अवगाहना सप्तम पृथिवी के नारकियों की अवगाहना भवनत्रिक देवों के शरीर की अवगाहना भोगभूमिज और कर्मभूमिज मनुष्यों के शरीर की
अवगाहना वैमानिक देवों के शरीर की अवगाहना एकेन्द्रियादि तिर्यंचों की अवगाहना और उनके
स्वामी जम्बूद्वीप की परिधि का वर्णन जम्बूद्वीप को आदि लेकर प्रारम्भ के' १६ द्वीपों के
नाम, विस्तार और प्रमाण का निरूपण लवणादि समुद्र और उनके रसों का वर्णन किन समुद्रों में जलचर हैं किन में नहीं हैं ?
१०५७ १०५८ १०५६ १०६० १०६१ १०६२ १०६३ १०६४
२१४-२१६ २१६-२१७ २१७-२१८ २१८-२१६ २१६-२२० २२० २२०.२२२ २२२-२२३
१०६५ १०६६-१०७०
२२३ २२४-२२६
१०७१-१०७३ १०७४-१०७५
२२६-२२८ २२८-२२६
१०७६.१०७६ १०८०-१०८२ १०८३
२२६-२३१ २३१-२३३ २३३
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