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"क्यों ?" "धनपुर उससे ब्याह करेगा,” कहती हुई डिमि खिलखिला पड़ी। गोसाई ने कोई उत्तर नहीं दिया। वे चुपचाप चाँद की ओर देखते रहे। डिमि ने फिर वही प्रश्न दुहराया। इस बार गोसाई को कहना पड़ा, "अच्छी लड़की है।"
"क्या वह अभी रोहा के आश्रम में ही है? एक बार उसे देख आने को जी करता है।"
डिमि का उत्साह देख गोसाईं झूठ बोलने के लिए बाध्य हो गये।" मैं नहीं जानता हूँ," कहते हुए वे फिर आकाश की ओर देखने लगे। क्या वहाँ वाली हिरणी भी रो रही है ? डिमि भी चुप्पी साधे रही।
थोड़ी ही देर में पास ही में गोली चलने की आवाज़ सुनाई पड़ी। गोसाईं अचकचा गये। मिलिटरी की गोली की आवाज़ है या बाघ के शिकारियों की? लेकिन इस समय बाघ का शिकार करने वाले आयेंगे कहाँ से ? गोसाईंजी सोच ही रहे थे कि गोली के छूटने की एक बार फिर आवाज़ आयी। ___गोसाईजी चंचल हो उठे और आहिना को ख़बर देने अन्दर चले गये । अन्दर कोंवर अफ़ीम के नशे में धुत पड़ा था। उसे चाय के लिए पानी रखने को कहा गया था किन्तु कलसी में पानी ज्यों-का-त्यों था। उसे भीतर चौके से उठा भर लाया था वह।
गोसाईं कमरे से बाहर आये । अपने साथ गठरी भी ले रखी थी उन्होंने । यह देख डिमि आश्चर्य में पड़ गयी। उसने पूछा :
"कहां जा रहे हैं गोसाईंजी?"
"थोड़ा सावधान हो रहा हूँ। कहा नहीं जा सकता कि वे सब डाकू हैं या मिलिटरी वाले ।" गोसाईं कुछ असमंजस में होकर बोले । साथ के साथ पूछा भी, "इनमें से कोई भी तो अभी तक नहीं आया। कहाँ रह गये सब !" .
डिमि खिलखिलाकर हंस पड़ी। बोली :
"क्षमा करें गोसाईजी, मरद होकर भी आपमें साहस की कमी है। गोली चलने की इन आवाजों से डर गये हैं न ? ये सब इनकी बन्दूकों की गोलियाँ हैं।"
"किनकी ?” विश्वास न होने के कारण गोसाईं ने पुनः पूछा।
"इनकी, और किनकी ? ये लोग बाघ का शिकार करने के लिए हमारे गाँव के नोक्मा की दोनों बन्दूकें मांग लाये हैं। लगता है अभी-अभी बाघ का शिकार किया है ।" डिमि की कथन-भंगिमा ने गोसाईं के अन्तस् में एक बार फिर साहस का संचार कर दिया।
डिमि ने आगे कहा, "दो बाघ हैं । दोनों ने हमारे गाँव की गाय, भैंस, बकरियों को मार-मारकर यहाँ का पशु-जीवन तहस-नहस कर दिया है । परसों मेरे देवर
90 / मृत्युंजय