Book Title: Mrutyunjaya
Author(s): Birendrakumar Bhattacharya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 240
________________ कोई दूसरा होता तो मैं उसे पकड़वाये बिना चैन नहीं लेती । लेकिन मैं आपका बुरा कसे चाह सकती भला?" रूपनारायण अपनी पिछली स्मतियों में खो गया था। वह महिला और कोई नहीं, उसके स्कूल की सहपाठिनी थी। उसका घर भी बारपूजिया ही है। उसे उसका नाम भी याद आया-हाँ, अनुपमा। वह दो वर्ष तक साथ ही पढ़ी थी। उसके बाद उसका विवाह हो गया था। उसने कहा : "आपने मुझे पहचान लिया, बड़ी खुशी हुई । आपके पति के बारे में सुन कर मुझे भी दुःख है । पर क्या किया जाये?" ___"हाँ, अब क्या किया जा सकता है ? वह भी हमेशा यही कहा करते । मैंने उन्हें कई बार पुलिस की नौकरी छोड़ने की सलाह दी थी। पर माने नहीं। अपने ही गाँव में मारे गये।" ___ अनुपमा की आँखें डबडबा गयीं । उसने सुबकते हुए कहा : ___ "काल का बुलावा आ गया था और क्या ! उन्हें जिस दिन पहली बार मैंने समझाया था, काफ़ी झड़प हुई थी। लाख समझाने पर भी वह नहीं माने । आप लोगों का कोई दोष नहीं । यह तो मेरा ही दुर्भाग्य था।" उसकी बड़ी-बड़ी आँखों से आंसू की गरम बूंदें टपक पड़ी। रूपनारायण स्थिर बैठा था । अनुपमा ने आँखें पोंछ ली और एक क्षण रुककर बोली : - "हम एक गाँव के हैं। हमारे पुराने सम्बन्ध कहाँ जायेंगे ? ज़रा बैठिये, मैं चाय बनाकर ले आऊँ...। "नहीं रहने दो।" रूपनारायण ने आत्मीयता प्रकट करते हुए कहा, "मैं एक बार गोसाइनजी से भेंट करना चाहता था।" उसके स्वर के आग्रह था। अनुपमा बैठी रही। उसने आश्वस्त करते हुए कहा : "हाँ-हाँ, क्यों नहीं।" लेकिन इसके साथ ही रूपनारायण का जी टटोलते हुए उसने पूछा, "आप लोग तो मुझे भी अपना दुश्मन समझते होंगे?" "नहीं।" रूपनारायण ने उत्तर देते हुए कहा, "लेकिन अनुपमा ! क्या यह सब तुम सहन कर सकोगी ?" “यदि ननद सह सकती है तो मैं क्यों नहीं ?" "तब बैठो। इस घटना के लिए मैं बड़ा दुःखित हूँ। मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि वे तुम्हारे पति होंगे । जानने पर भी क्या होता? हाँ, इतना जान लो कि इसमें मेरा कोई हाथ नहीं है। फिर हमारे हाथ-पाँव भी बँधे हुए हैं।" ___ अनुपमा कुछ देर तक यों ही गुम-सुम बैठी रही। उसकी ख़ामोशी ही बहुत कुछ कह रही थी। उसने उठते हुए कहा, "तुम हमारा दुःख समझते हो, यही बहुत है। आगे भी यहाँ आते रहना । अरे हाँ, तुम यहीं बैठो। मैं ननद को बुला 236 / मृत्युंजय

Loading...

Page Navigation
1 ... 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277