Book Title: Mrutyunjaya
Author(s): Birendrakumar Bhattacharya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 268
________________ अनुपमा कुछ बोली नहीं । चुपचाप चटाई पर जा बैठी और अबोध शिशु के सरल निर्दोष मुँह की ओर ताकती रही । गोसाइन ने कमरे का सामान समेटकर कपड़े बदल लिये। फिर एक अँगोछे में थोड़े से पान और सुपारी काटने की एक छोटी-सी सरौती बाँध ली। देर हो रही थी । डिमि किसी भी घड़ी आ सकती थी, इसलिए वे पूरी तरह तैयार होकर ही अनुपमा के पास आ बैठीं। उस समय बच्चा अपलक नेत्रों से छत की ओर ताक रहा था । गोसाइन बोलीं : "अगर हो सके तो तुम एक नौकरानी रख लेना । नहीं तो अकेले रहना मुश्किल होगा। कहो तो मैं किसी को खोज दूँगी ?" "नहीं, ज़रूरत नहीं," अनुपमा ने सिर झुकाये हुए ही कहा । "तब स्वयं ही खोज लेना । इस प्रकार शोक मत करते रहना ।" "अब और भी कुछ करने के लिए रह क्या गया है ?" कहते-कहते अनुपमा की आँखों से आँसू ढुलक पड़े । " तुम्हें ऐसा लग रहा है कि मुझे तुम्हारा यहाँ रहना खल रहा है। इन लोगों का आना मुझसे सहा नहीं जाता। तुम ठीक ही कह रही हो। तुम भी चली जाओ। मुझे किसी की ज़रूरत नहीं ।" बिलकुल छोटी बच्ची की तरह अनुपमा फूट-फूटकर रोने लगी। उसका रोना बड़ा ही हृदय विदारक हो उठा। उसे रोते देख बच्चा भी रोने लगा । उसे उठाकर अपनी छाती से लगाती हुई अनुपमा और भी ज़ोर से रोने लगी। इसके पहले गोसाइन ने उसे इस प्रकार रोते हुए कभी नहीं पाया। पति की मृत्यु का समाचार पाकर भी वह ऐसी बेहाल होकर नहीं रोयी थी । इधर दीवार घड़ी ने टन् टन् चार बजा दिये । डिमि अब किसी भी क्षण यहाँ पहुँच सकती थी । गोसाइन का हृदय धड़कने लगा। फिर भी अपने को सँभालते हुए उन्होंने अनुपमा को समझाया : " तुम्हारे इस प्रकार टूट जाने से कैसे चलेगा, भाभी ? कौन जानता है कि किसे कब क्या हो जायेगा ? लोग तो यह भी कहेंगे कि भैया अपनी ही करनी से मारे गये हैं, पर मैं तो सोचती हूँ कि यह सब देव-संयोग था ।" " दैव, दैव, दैव । मैं यह सब नहीं मानती । यह सब इन्हीं लोगों की करतूत है," अनुपमा ने आँसुओं को रोकते हुए कहा । "ठीक है, पर आदमी आख़िर है तो यन्त्र हो । तुम इतना शोक न करो । रहा स्वराज्य, सो वह तो आयेगा ही । और ये लोग- -अब अच्छे हों या बुरे, स्वराज्य तो ये ही लायेंगे। विदेशी सरकार अब अधिक दिनों तक नहीं टिकने वाली ।" " नहीं टिकेगी ?" अनुपमा ने आश्चर्य से पूछा, "यह तुम कैसे कह सकती हो ?" 264 / मृत्युंजय

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