Book Title: Mrutyunjaya
Author(s): Birendrakumar Bhattacharya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 265
________________ सकती है ।" गोसाइनजी ने कहा । दोनों जल्दी-जल्दी खा-पीकर उठे । डिमि कटोरी धोने के लिए जाने लगी तो टिको ने टोका, "जात-पाँत का विचार अब ठीक नहीं जँचता । मैं तो कटोरी नहीं धोऊँगी ।" गोसाइन ने उसकी बात सुनी तो दी । पनवट्टे की ओर डिभि को देखते एक-एक पान दिया और एक बीड़ा अपने मुँह में डालते हुए कहा : " ज़रा सँभलकर ही जाना ।" मुसकरा दीं। डिमि ने कटोरी वहीं छोड़ गोसाइन समझ गयीं । उन्होंने दोनों को दोनों चलने को हुए कि तभी अनुपमा दौड़ती हुई अन्दर आयी। इस समय उस के स्वभाव की गम्भीरता भी कहीं खो गयी थी । आते ही उसने बताया : "सुना कुछ ? रूपनारायण को इन लोगों ने गिरफ़्तार कर लिया है । वह उस पोशाक में नहीं था जिसे पहनकर यहाँ से वह निकला था । कमर में एक अंगोछा भर लपेटे हुए था। उसके सिवा उसकी देह पर और कुछ भी नहीं था । हाथ-पैर ही क्या, सारी की सारी देह रस्सियों से बँधी थी। मैं जिस समय शइPatar वकील से बात कर रही थी, उसी समय उसे जेल लाया गया था । उसने मेरी ओर देखा और मुसकराया । अपने पैर की ओर इशारा भी किया । एक पैर से खून बह रहा था। मैं समझ नहीं सकी । शायद गोली लगी होगी ।" इतना कह चुकने के बाद ही अनुपमा यह अनुभव कर सकी कि वहाँ दो जन और भी खड़े हुए हैं । उसकी बात धीमी पड़ गयी। एक बार उसने दोनों को देखा और फिर अपनी नज़र नीचे कर ली। कुछ क्षण तक सभी चुप रहे आये । टिकौ की अपनी अवांछित उपस्थिति पर मन-ही-मन खेद हो रहा था । मौन तोड़ते हुए गोसाइन से बोला, "तब हम चलते हैं ।" "यह कौन है ?" "डिमि । गारोगाँव की ।" गोसाइनजी ने बताया । I "क्यों आयी है !" गोसाइन ने सारी बात सुनायी। सुनकर अनुपमा भड़क उठी । "चाहे जहाँ के भी हो, चले आओ तुम लोग । यह पुलिस का घर है, समझे । यदि मर भी गये हैं तो क्या हुआ, उनकी पत्नी तो जीवित है । जाओ, निकल जाओ ! तुम लोग आकर मुझे यहाँ तंग मत करो । जाओ !" I गोसाइन जिसके लिए डर रही थीं, वही हुआ। भाभी के मन का कोई ठिकाना तो है नहीं । कहा नहीं जा सकता कि वे कब ठीक रहेंगी और कब बिगड़ खड़ी होंगी । रूपनारायण के प्रति उनका निजी मोह होने के कारण ही उन्होंने उसके लिए उतना कुछ किया और स्वयं अनुभव भी किया । किन्तु टिकौ या डिमि के प्रति वैमी कोई भावना तो है नहीं । इन सबको देखते ही उनका दुःख, क्रोध, अभि मृत्युंजय | 261

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