Book Title: Mahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Chandraprabh
Publisher: Jain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur

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Page 19
________________ महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व (ख) श्री अगरचंद नाहटा एवं श्री भंवरलाल नाहटा द्वारा सम्पादित 'समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि' नामक ग्रन्थ की भूमिका में आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, श्री अगरचंद नाहटा, श्री भंवरलाल नाहटा और महोपाध्याय श्री विनयसागर ने कवि के जीवन-वृत्त के सन्दर्भ में विस्तृत प्रकाश डाला है। (ग) श्री अगरचंद नाहटा तथा श्री भंवरलाल नाहटा द्वारा सम्पादित 'सीताराम चौपाई ४ में कवि की जीवनी के सम्बन्ध में विशद् विवेचन प्राप्त होता है। (घ) श्री अगरचन्द नाहटा का 'कविवर समयसुन्दर ५ नामक निबन्ध भी प्रकाशित हुआ है। इसमें कवि के जन्म और दीक्षा-समय को छोड़कर अन्य सम्पूर्ण सामग्री को विद्वानों ने एकमत से स्वीकार किया है। (ङ) समयसुन्दर कृत 'नलदवदंती-रास' नामक ग्रन्थ की भूमिका में ग्रन्थ-सम्पादक रमणलाल चीमनलाल शाह ने कवि के जीवन-वृत्त के सन्दर्भ में बहुविध विवेचन किया (च) महोपाध्याय विनयसागर ने कवि के व्यक्तित्व और कृतित्व पर स्वतंत्र रूप से 'महोपाध्याय समयसुन्दर' नामक पुस्तक लिखी है। यह पुस्तक 'समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि' में भी संकलित है। (छ) डॉ. सत्यनारायण स्वामी ने 'महाकवि समयसुन्दर और उनकी राजस्थानी रचनाएँ' नामक अपने शोध-प्रबन्ध में कवि के राजस्थानी भाषागत साहित्य का सर्वांगीण सविस्तार विवेचन किया है। इसके अतिरिक्त नागरी प्रचारिणी पत्रिका, जैनसाहित्य-संशोधक, कुशल-निर्देश आदि पत्रिकाओं में भी समय-समय पर प्रकाशित कवि के जीवन-वृत्त सम्बन्धी निबन्धों से भी हमें कतिपय जानकारियाँ मिल जाती हैं। । उपर्युक्त तीन प्रकार की सामग्री का पर्यवेक्षण करने पर हमें पता चलता है कि समयसुन्दर का जीवन-वृत्त सुनिश्चित करने में प्रथम प्रकार की सामग्री ही सर्वाधिक उपादेय प्रतीत होती है। वैसे दूसरे प्रकार की सामग्री भी एक सीमा तक उनके जीवन-वृत्त पर प्रकाश डालती है। कवि के माता-पिता, वंश, पद-प्रदान-संवत्, शिक्षण, प्रतिभा, १. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, भूमिका, पृष्ठ ५-८ २. वही, पृष्ठ ९-३२ ३. वही, पृष्ठ १-१०० ४. सीताराम-चौपाई, भूमिका, पृष्ठ ३१ से ६० ५. नागरी प्रचारिणी पत्रिका, वर्ष ५७, अंक १, सं. २००९ ६. कवि समयसुन्दर कृत नलदवदन्ती-रास, भूमिका, पृष्ठ २० से ३२ ७. महोपाध्याय समयसुन्दर, पृष्ठ १-१०० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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