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महावीर : मेरी दृष्टि में
व्यक्ति के देखने के ढंग में भेद है और व्यक्ति-व्यक्ति की ग्राहकता में भेद है और व्यक्ति-व्यक्ति के रुझान और रुचि में मेद है । एक सुन्दर युवति हैं, जरूरी नहीं सभी को सुन्दर मालूम पड़े ।
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सम्राट् ने । और मजनू को देर तक वृक्षों के नीचे रोना
गांव भर में उसकी चर्चा ।
ने दया करके उसे बुला लिया, बोला तू पागल हो गया है । लैला
दूंगा ।
मजनू को पकड़ लिया था उसके गांव के पोड़ा की खबरें उस तक पहुंची थीं। उसका रात और चिल्लाना; उसकी आंखों से बहते हुए आंसू; तो सम्राट् को मैंने भी देखा है । ऐसा क्या है ? बहुत साधारण है । उससे सुन्दर लड़कियाँ तेरे लिए मैं इन्तजाम कर देख । लड़कियां बुला ली थीं उसने । कतार लगा दो दीवार के सामने कहा कि देख ! नगर की सुन्दरतम लड़कियाँ वहां पर उपस्थित थीं, राजा का निमन्त्रण था। लेकिन, मजनू ने देखा तक नहीं । और मजनू खूब हंसने लगा। उसने कहा, आप समझे नहीं । लैला को देखने के लिए मजनू की आंख चाहिए। वह आंख आपके पास नहीं । तो हो सकता है लैला आपको साधारण दिखे । लैला को मैं ही देख सकता हूं असाधारण । मैं मजनू हूँ । मजनू की आंख लैला को पैदा करती है, आविष्कार करती है, उद्घाटन करती है— यानी लैला होने के लिए मजन चाहिए ।
और
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एक-एक व्यक्ति में बुनियादी भेद है । इसलिए दुनिया में इतने तीर्थंकर, इतने अवतार, इतने गुरु हैं । और इसलिए ऐसा हो सकता है कि बुद्ध और महावीर जैसे व्यक्ति एक ही जगह में एक ही दिन ठहरे और गुजरे हों, एक ही इलाके में वर्ष- वर्ष घूमे, हों; फिर भी, गांव में किन्हीं को बुद्ध दिखाई पड़े हों, किन्हीं को महावीर दिखाई पड़े हों, और किन्हीं को दोनों न दिखाई पड़े हों । जब मैं कुछ देखता हूं तो जो है, दिखाई पड़ रहा है, वही महत्त्वपूर्ण नहीं है । मेरे पास देखने की एक विशिष्ट दृष्टि है । और, दृष्टि प्रत्येक व्यक्त की अलग है। किसी को महावीर में वह ज्योति दिखाई पड़ सकती है । और, तब उस बेचारे को मजबूरी है । हो सकता है कि वह कहे कि बुद्ध में कुछ भी नहीं है और वह कहे जीसस में क्या है ? मुहम्मद में क्या है ? लेकिन, उसकी नासमझी है। वह जरा जल्दी कर रहा है। वह सहानुभूतिपूर्ण नहीं मालूम हो रहा है । वह समझ नहीं रहा है । और जब कोई उससे कहेगा कि महावीर
में
कुछ भी नहीं है तो वह क्रोध से भर जाएगा । अब भी वह नहीं समझ पा रहा है । जब मैं कहता हूं कि जीसस में कुछ नहीं दिखाई पड़ रहा है तो
सकता है कि किसी को महावीर में कुछ भी न दिखाई पड़े ।
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