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फोसणपरूषणा
१६३ हस्स-रदि उ० अणु० अट्ट चो० सव्वलो० । दोआउ०-तिण्णिजा०-आहारदु० उ० अणु० खेत्त । दोआउ०-तित्थ० उ० खेत्त०, [ अणु० ] अह चो० । णिरय० णिरयाणु० उ० अणु० छच्चो० । मणुस०--मणुसाणु०--आदाव० --उच्चा० [उ० ] अणु' अह० । देवग०--देवाणु० ओघं । एइंदि०--थावर० उ० अह-णव०, अणु० अह० सव्वलो०। पंचिंदि०-समचदु०-पसत्यवि०-तस०-सुभग-सुस्सर-आदे० उ० खेत्त०, अणु० अह-बारह० । ओरा० उ० अह, अणु० अह. सव्वलो० । वेउव्वि०-वेउन्धिःअंगो० ओघं । ओरालि अंगो०-बजरि० उ० अह०, अणु० अह--बारह० । उज्जो०बादर०-जस० उ० खेत०, अणु० अह-तेरह० । सुहुम-अपज्जत्त-साधार० उ० अणु० लो० असंखेजदि० सव्वलो०। एवं पंचिंदियभंगो तस०--तसपज्जत्त०--पंचमण-- पंचवचि०-चक्खु०-सण्णि ति । गति और दुःस्वरके उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट अनुभागके बन्धक जीवोंने कुछ कम आठ बटे चौदह राजू और कुछ कम बारह बटे चौदह राजू क्षेत्रका स्पर्शन किया है। हास्य और रतिके उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट अनुभागके बन्धक जीवोंने कुछ कम आठ बटे चौदह राजू और सब लोक क्षेत्रका स्पर्शन किया है। दो आयु, तीन जाति और आहारकद्विकके उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट अनुभागके बन्धक जीवों का स्पर्शन क्षेत्रके समान है। दो आयु और तीर्थङ्करके उत्कृष्ट अनुभागके बन्धक जीवोंका स्पर्शन क्षेत्रके समान है और अनुत्कृष्ट अनुभागके बन्धक जीवोंने कुछ कम आठ बटे चौदह राजूप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। नरकगति और नरकगत्यानुपूर्वी के उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट अनुभागके बन्धक जीवोंने कुछ कम छह बटे चौदह राजूप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। मनुष्यगति, मनुष्यगत्यानुपूर्वी, श्रातप और उच्चगोत्रके उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट अनुभागके बन्धक जीवोंने कुछ कम आठ बटे चौदह राजूप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है । देवगति और देवगत्यानुपूर्वी का भङ्ग ओघके समान है। एकेन्द्रियजाति और स्थावरके उत्कृष्ट अनुभागके बन्धक जीवोंने कुछ कम आठ बटे चौदह राजु
और कुछ कम नौ बटे चौदह राजूप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है और अनुत्कृष्ट अनुभागके बन्धक जीवोंने कुछ कम आठ बटे चौदह राजू और सब लोक प्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। पञ्चन्द्रियजाति, समचतुरनसंस्थान, प्रशस्त विहायोगति, त्रस, सुभग, सुस्वर और आदेयके उत्कृष्ट अनुभागके बन्धक जीवोंका स्पर्शन क्षेत्रके समान है और अनुत्कृष्ट अनुभागके बन्धक जीवोंने कुछ कम आठ घटे चौदह राजू और कुछ कम बारह बटे चौदह राजप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। औदारिकशरीरके उत्कृष्ट अनुभागके बन्धक जीवोंने कुछ कम आठ बटे चौदह राजूप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है और अनुत्कृष्ट अनुभागके बन्धक जीवोंने कुछ कम आठ बटे चौदह राजू और सब लोकप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। वैक्रियिकशरीर और वैक्रियिकाङ्गोपाङ्गका भङ्ग ओवके समान है। औदारिक आङ्गोपाङ्ग और वर्षभनाराचसंहननके उत्कृष्ट अनुभागके बन्धक जीवोंने कुछ कम पाठ बटे चौदह राजूप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है और अनुत्कृष्ट अनुभागके बन्धक जीवोंने कुछ कम आठ बटे चौदह राजू और कुछ कम बारह बटे चौदह राजूप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। उद्योत, बादर और यश कीर्तिके उत्कृष्ट अनुभागके बन्धक जीवोका स्पर्शन क्षेत्रके समान है और अनुत्कृष्ट अनुभागके बन्धक जीवोंने कुछ कम आट बटे चौदह राजू और कुछ कम तेरह बटे चौदह राजूप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। सूक्ष्म, अपर्याप्त और साधारणके उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट अनुभागके बन्धक जीवो ने लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण और सब लोकप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है । इसी प्रकार पञ्चन्द्रिय जीवों के समान त्रस, त्रसपर्याप्त, पाँचों मनोयोगी, पाँचों वचन
१. ता. श्रा• प्रत्योः पादाउजो० अणु० इति पाठः।
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