Book Title: Kuvalaymala Kaha Ka Sanskritik Adhyayan
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Prakrit Jain Shastra evam Ahimsa Shodh Samsthan
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ग्रन्थकार और ग्रन्थ
जिस ऋषभदेव के मंदिर में उद्योतनसूरि ने कुव० की रचना की थी, उसकी पहिचान आधुनिक मंदिरों से नहीं की जा सकी है।' डा० ए० एन० उपाध्ये ने स्वयं जालौर का भ्रमणकर उसके लिए प्रयत्न किया था तथा जालौर का ऐतिहासिक विवरण भी आपने प्रस्तुत किया है ।
___ उद्योतनसूरि द्वारा उल्लिखित रणहस्तिन् श्री वत्सराज का सन्दर्भ पर्याप्त महत्त्वपूर्ण है। यह वत्सराज प्रसिद्ध गुर्जर प्रतिहार राजा था, जिसका उस समय भिल्लमाल में शासन था और जालौर उसके राज्य में सम्मिलित था। वत्सराज के सम्बन्ध में डा० दशरथ शर्मा और डा० बैजनाथ पुरी ने जो प्रकाश डाला है, उससे कुवलयमालाकहा का उपर्युक्त समय और रचनास्थल प्रमाणित होता है।
9. None of these can be definitely proposed for identification with
the temple of Rşabha, which was got built by Virabhadra and referred to in the Kuvalayamala.
-Kuv. Int. p. 103. २. Puri, B. N., 'The History of the Gurjara-Pratiharas' Bombay,
1957.