Book Title: Kundakundadeva Acharya
Author(s): M B Patil, Yashpal Jain, Bhartesh Patil
Publisher: Digambar Jain Trust

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Page 11
________________ आचार्य कुंदकुंददेव अनुवादकीय श्री एम. वी. पाटील (शेडबाल) लिखित आचार्य कुंदकुंददेव का चरित्र हिंदी भाषा में छपाना चाहिए यह भावना १६८३ से ही थी। लेकिन अनेकानेक कारणों से यह कार्य नहीं हो पाया । आचार्य कुंदकुंद द्विसहसब्दि निमित्त यह चरित्र मराठी भाषा में आया। वाचकों की प्रतिक्रिया अनुरूप रही और अनेक वाचकों ने हिंदी में छपाना चाहिए ऐसा भाव व्यक्त किया । अतः अब पू. श्री गुरुदेव कानजी स्वामीजी के जन्मशताब्दी निमित यह.भावना सफल हो रही है। ऐतिहासिकता- आचार्य कुंदकुंद के संबंध में प्राचीन ग्रंथों में प्राप्त महत्वपूर्ण उद्धरण तो लेखक ने दिया ही है। साथ ही आचार्य की जन्मभूमि तपोभूमि, कर्मभूमि स्थानों पर जाकर वहाँ के शिलालेख देखे-पढे और स्पष्ट तथा महत्वपूर्ण जानकारी दी है। आचार्यश्री का काल निश्चित करते समय अनेक विद्वानों के विचारों को सन्मान रखते हुए ग्रंथ के आधार से अपना प्रामाणिक विचार रखने से भी नहीं चूके । ऐतिहासिक विषयों में अनुमान को आस्पद नहीं दिया । तात्विक प्रामाणिकता- आचार्य श्री के जीवन विषयक प्राप्त सामग्री का उपयोग तो किया ही है। साथ ही आचार्यश्री से रचित ग्रंथों के आधार से उनका मुनि जीवन, तत्वचिंतन, उपदेश कथन प्रस्तुत किये हैं। समयसार आदि ग्रंथों के अध्ययन करनेवाले पानकों को इसका पता चलेगा ही। अथवा चरित्र वाचन के बाद ग्रंथों का

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