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आचार्य कुंदकुंददेव करने की तथा आचार्य जिनचंद्र के दर्शन करने की तीव्र अभिलाषा उत्पन्न हुई है। कृपया शीघ्र व्यवस्था कीजिए, मेरा जीवन धन्य हो जायेगा।
दूसरे ही दिन पति-पत्नी दोनों पेनगोंडे पहुँच गये । वहाँ भगवान पार्श्वनाथ की अत्यंत भक्ति से पूजा की और भक्ति तथा कृतज्ञतापूर्वक आचार्य जिनचंद्र के दर्शन किए । अत्यन्त विनय से और उत्कंठित भाव से शान्तला देवी ने स्वप्न समाचार बताया । अष्टांग निमित्तज्ञानी आचार्य ने स्वप्नफल सुनाया। . ___ "आपके गर्भ से आसन्न भव्य जीव जन्म लेनेवाला है। वह तीर्थकर द्वारा उपदेशित अनादि-अनंत, परमसत्य, वीतराग धर्म का प्रवर्तक बनेगा । और विशेष बात यह है कि भगवान महावीर और गौतम गणधर के बाद उसका ही नाम प्रथम लिया जायगा । इसकारण यह कोण्डकुन्दपुरनगर इतिहास में प्रसिद्ध होगा। पतितोद्धारक यह महापुण्यवान जीव जब पूर्वभव में कौण्डेश नामक ग्वाला था, तब उसने एक दिगम्बर मुनीश्वर को शास्त्रदान दिया था | उस दान के पुण्य-परिणामस्वरूप ही कोण्डकुन्द नगर में वह तुम्हारे यहाँ जन्म ले रहा है । यह अपूर्व योग है । " ___ “प्रत्येक जीव को अपने परिणामों का फल मिलता है" यह त्रिकालाबाधित सिद्धान्त सहज रीति से समझ में आता है । ऐसा सातिशय पुण्यशाली जीव आपके वंश में जन्म लेगा इससे आपके पवित्र परिणामों का भी परिचय होता है | ३०-३२ वर्ष के इस दीर्घ जीवन में इन तीन महीनों में शास्त्रदान के जैसे उत्साही भाव परिणाम हुए वैसे परिणाम पहले कभी आपके मनोमंदिर में हुए थे क्या ? इस