________________
८
में ११ तथा नेमिनाथ छन्द में २५ पद्य हैं
५. ब्रह्म यशोधर
कविवर बुचराज
ब्रह्म यशोधर का जन्म कब और कहाँ हुआ इस विषय में कोई निश्चित जानकारी उपलब्ध नहीं होती। लेकिन एक तो ये भट्टारक सोमकीर्ति (संवत् १५२६ से १५४०) के शिष्य थे तथा दूसरी इनकी रचनाओं में संवत् १५८१ एवं १५८५ ये दो रचना-काल दिये हुए हैं इसलिए इनका समय भी संवत् १५४० से १६०० तक के मध्य तक निश्चित किया जा सकता है। इनकी रचनाओं वाला एक गुटका नेवा (राजस्थान) के शास्त्र भण्डार में उपलब्ध हुआ है । उसमें इनकी बहुत सी रचनाएं दी हुई हैं तथा वह इनके स्वयं के हाथ का लिखा हुआ है ।
अब तक कवि के नेमिनाथ गीत (तीन) मल्लिनाथ गीत, बलिभद्र चौपई के प्रतिरिक्त अन्य कितने ही गीत उपलब्ध हुए हैं, जो विभिन्न शास्त्र भण्डारों में संग्रहीत हैं । बलिभद्र चोपई इनकी सबसे बड़ी कृति है जो १८६ पद्यों में समाप्त होती है । कवि ने इसे संवत् १५८५ में स्कन्ध नगर के अजितनाथ के मन्दिर में पूरी की थी। कवि को सभी रचनाएं भाव भाषा एवं शैली की दृष्टि से उच्चस्तरीय रचनाएं हैं।
६. ईश्वर सूरि
ये शान्ति सूरि के शिष्य थे। इनकी एकमात्र कृति 'ललिताङ्ग चरित्र' का उल्लेख मिश्र ने किया है । ललिताङ्ग चरित्र का रचना काल संवत् १५६१ है ।
१.
३.
सालंकार समत्थं सच्छन्दं सरस सुगुरण सजुत ं । ललियंग क्रम चरियं ललपा लस्त्रियव निसुरह । महि महति मालव देस घण करणय सांच्छि निवेस । तिह नयर मयि दुग्ग भहि नवउ जाएकि सम्म । नव रस विलास उल्लोच नवगाह गेह कलोल निज बुद्धि बहुअ बिनारिण, गुरु धम्म कफ बहु जाणि ।
कवि का विस्तृत परिचय के लिए देखिये प्रभावक आचार्य - पृष्ठ संख्या १७८ से
लेखक की कृति "वीर शासन के १०६ तक ।
२. विशेष परिचय के लिए लेखक की कृति 'राजस्थान के जन सन्त-व्यक्तित्व
एवं कृतित्व पृष्ठ संख्या ८३ से ६२ ।
मिश्रजन् विनोद, पृष्ठ संख्या १३४ ।