Book Title: Karma Ka Vignan
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 25
________________ कर्म का विज्ञान १२ सभी कॉज़ेज़ हैं और उनमें से ये कर्म उत्पन्न हुए हैं। जो खुद को पसंद हैं, वे, और नहीं पसंद हैं वे, दोनों कर्म आते हैं । नापसंद काटकर जाते हैं, यानी दुःख देकर जाते हैं, और पसंद आनेवाले सुख देकर जाते हैं। यानी कि कॉज़ेज़ पिछले जन्म में हुए हैं, वे इस जन्म में फल देते हैं। कर्मबीज के नियम प्रश्नकर्ता: कर्मबीज की ऐसी कोई समझ है कि यह बीज पड़ेगा और यह नहीं पड़ेगा? दादाश्री : हाँ, आप कहो कि 'यह नाश्ता कितना अच्छा बना है, इसे मैंने खाया', तो बीज पड़ा। 'मैंने खाया' बोलने में हर्ज नहीं है । 'कौन खाता है' वह आपको जानना चाहिए कि 'मैं नहीं खाता हूँ, खानेवाला खाता है', पर यह तो खुद कर्त्ता बन जाता है और कर्त्ता बने तो ही बीज डलते हैं। गालियाँ दे तो उस पर द्वेष नहीं, फूल चढ़ाए या उठाकर घूमे तो उस पर राग नहीं, तो कर्म नहीं बँधेंगे उसे। है? प्रश्नकर्ता : राग -द्वेष हों और पता नहीं चले, उसका उपाय क्या दादाश्री : यह इनाम मिलता है वह, आनेवाले जन्म का भटकना जारी रहता है उसका । संबंध, देह और आत्मा का.... प्रश्नकर्ता: देह और आत्मा के बीच का संबंध अधिक विस्तार से समझाइए न! दादाश्री : यह जो देह है, वह आत्मा की अज्ञानता से उत्पन्न हुआ परिणाम है। जो-जो 'कॉज़ेज़' किए थे, उनका यह 'इफेक्ट' है । कोई आपको फूल चढ़ाए तो आप खुश हो जाते हो, और कोई गाली दे तो आप चिढ़ जाते हो। उस चिढ़ने में और खुश होने में बाह्य दर्शन की क़ीमत

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