Book Title: Karma Ka Vignan
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 61
________________ कर्म का विज्ञान प्रश्नकर्ता : पर उदयकर्म के अधीन होगा, तो क्लेश-कंकास होगा ही? दादाश्री : नहीं, क्लेश उदयकर्म के अधीन नहीं है, परन्तु अज्ञान से खडे होते हैं। क्लेश खड़े होते हैं और उससे नये कर्मबीज पड़ते हैं। उदयकर्म क्लेशवाला नहीं होता। अज्ञानता के कारण खुद यहाँ किस तरह से रहे, वह जानता नहीं है, इसलिए क्लेश हो जाता है। अभी मेरा एक खास फ्रेन्ड हो, वह ऑफ हो गया, वैसी खबर मुझे यहाँ लाकर दो, यानी तुरन्त ही यह क्या हुआ, ज्ञान से मुझे उसका पृथ्थकरण हो जाता है, इसलिए मुझे फिर क्लेश होने का कोई कारण ही नहीं है न! यह तो अज्ञान उलझा देता है कि मेरा दोस्त मर गया, और वही सब क्लेश करवाता है! यानी क्लेश मतलब अज्ञानता। अज्ञानता से सारे क्लेश खड़े होते हैं। अज्ञानता जाए तो क्लेश दूर हो जाए। ___ यह सब क्या है, वह जान लेना चाहिए। साधारण रूप से अपने घर में एक मटकी हो, उसे बच्चा फोड़ डाले तो कोई क्लेश नहीं करता और काँच का ऐसा बर्तन हो, वह फोड़ डाले तो? पति क्या कहता है पत्नी को? तू सँभालती नहीं है इस बच्चे को, तो मुए मटकी के लिए क्यों नहीं बोला? तब कहे, वह तो डी-वेल्यु थी। उसकी क़ीमत ही नहीं थी। क़ीमत नहीं हो तो हम क्लेश नहीं करते, और क़ीमतवाले में क्लेश करते हैं न! चीजें तो दोनों ही उदयकर्म के अधीन फूटती हैं न! पर देखो हम मटकी के लिए क्लेश नहीं करते! एक व्यक्ति के दो हज़ार रुपये खो जाएँ, तब उसे मानसिक चिंताउपाधि (बाहर से आनेवाले दुःख) होती है। दूसरे व्यक्ति के खो जाएँ तो वह कहेगा, 'यह कर्म का उदय होगा तो हुआ अब।' इसलिए ऐसी समझ हो तो हल लाता है, नहीं तो क्लेश हो जाता है। पूर्वजन्म के कर्मों में क्लेश नहीं होता। क्लेश तो अभी की अज्ञानता का फल है। कुछ लोगों के दो हज़ार चले जाएँ तो भी कुछ असर नहीं होता,

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