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कर्म का विज्ञान
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मृत्यु के बाद साथ में क्या जाता है? प्रश्नकर्ता : शुभ और अशुभ जो कर्म हैं, उनका जो परिणाम है वह अब दूसरी जिस किसी योनि में जाए, वहाँ उसे भुगतना पड़ता है न?
दादाश्री : वहाँ भुगतना ही पड़ता है। इसलिए यहाँ से मृत्यु हो, तब मूल शुद्धात्मा जाता है। साथ में सारी ज़िन्दगी जो शुभाशुभ कर्म किए वे योजना के रूप में जिसे कारण शरीर अर्थात् कॉज़ल बॉडी कहा जाता है, फिर सूक्ष्म बॉडी यानी इलेक्ट्रिकल बॉडी। यह सब साथ जाएगा। और कुछ नहीं जाता।
प्रश्नकर्ता : मनुष्य जन्म जो मिलता है, वह बार-बार मिलता है या फिर अमुक समय के लिए मनुष्य में आकर वापस दूसरी योनि में उसे जाना पड़ता है?
दादाश्री : यहीं से सभी योनियों में जाते हैं। अभी लगभग सत्तर प्रतिशत लोग चार पैरों में (जानवरगति) जाएँगे। यहाँ से सत्तर प्रतिशत! और जनसंख्या तीव्रता से खतम हो जाएगी।
अर्थात मनष्य में से जानवर भी बन सकता है, देवता बन सकता है, नर्कगति हो सकती है और फिर से मनुष्य भी बन सकता है। जिसजिस तरह के कर्म किए हों, उस तरह के बनते हैं। क्या लोग पाशवता के लायक कर्म करते हैं अभी?
प्रश्नकर्ता : अभी तो बहुत लोग पाशवता के ही कर्म कर रहे हैं न!
दादाश्री : तो वहाँ की टिकट आ गई, रिज़र्वेशन हो गया। यानी कि मिलावट करता हो, अणहक्क का खा जाता हो, भोग लेता हो, झूठ बोलता हो, चोरियाँ करता हो, उन सबकी अब निंदा करने का अर्थ ही क्या है? ये उनकी टिकट उन्हें मिल गई हैं!
चार गति में भटकन । प्रश्नकर्ता : यह मनुष्य नीच योनि में जा सकता है क्या?