Book Title: Karma Ka Vignan
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

View full book text
Previous | Next

Page 94
________________ कर्ताभाव से कर्मबंधन ! कर्म कैसे बंधते हैं? मैं कर रहा हूँ' यह कर्त्ताभाव है। करता है कोई और, और आरोपण करता है कि मैंने किया। इस कर्त्ताभाव से कर्म बंधते हैं। अब कर्ता कौन है' यह जानना पड़ेगा, ताकि फिर कर्म नहीं बंधे और मुक्ति हो जाए! - दादाश्री

Loading...

Page Navigation
1 ... 92 93 94