Book Title: Karma Ka Vignan
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 74
________________ कर्म का विज्ञान और यदि कर्म नहीं करे, बिल्कुल कर्म ही न करे तो मोक्ष में जाता है। मनुष्य में से मोक्ष में जाया जा सकता है। दूसरी किसी जगह से मोक्ष में नहीं जा सकता। कर्म नहीं करे वैसा आपने देखा है? प्रश्नकर्ता : नहीं, वैसा नहीं देखा। दादाश्री : आपने देखे हैं कर्म नहीं करे वैसे? इन्होंने देखे हैं और आपने नहीं देखे?! ये जानवर वगैरह सभी हैं, वे खाते हैं, पीते हैं, मारपीट करते हैं, लड़ाई-झगड़ा करते हैं, फिर भी उन्हें कर्म नहीं बँधते। उसी प्रकार मनुष्यों को भी कर्म नहीं बंधे, ऐसी स्थिति संभव है। परन्तु 'खुद' कर्म का कर्ता नहीं बने तो और कर्म भुगते उतना ही! इसलिए यहाँ, हमारे यहाँ आएँ, उन्हें 'सेल्फ रियलाइज़' का ज्ञान प्राप्त हो जाए तो कर्म का कर्त्तापन छूट जाता है, करना ही छूट जाता है, भुगतना ही रहता है फिर। अहंकार हो तब तक कर्म का कर्ता। आठ जन्मों तक की पूँजी साथ में प्रश्नकर्ता : जिन-जिन योनियों में कर्म नहीं बँधते, सिर्फ कर्म भुगतने ही पड़ते हैं, तो उस जीव का अगला जन्म किस तरह से होता दादाश्री : यह इतना अधिक है कि मनुष्य यहाँ से गया, तो गाय का जन्म मिला। वह गाय का जन्म भुगतता है। वह पूरा हो जाए, उसके बाद बकरी का जन्म मिलता है। वह बकरी का ही आए ऐसा नहीं है। जिस किसी योनि में उसका हिसाब हो उसके अनुसार आता है। डिज़ाइन हो उसके अनुसार आता है। फिर, गधे का जन्म आता है। सौ- दो सौ वर्ष इस तरह भटककर आता है। यानी सारा डेबिट भुगत लिया जाता है। यानी यहाँ पर मनुष्य में जन्म वापिस आता है। दूसरी सब जगह एक जन्म के बाद दूसरा जन्म होता है। तो वह कर्म करने से नहीं होता। वह कर्म भुगते जा चुके हैं, इसलिए होता है। यह एक परत गई और दूसरी परत

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