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कर्म का विज्ञान
___ लोगों ने गुनाह किए थे, इसलिए कोई भी निमित्त मिल गया और उन्हें खतम कर दिया। उन सबका कर्म व्यक्तिगत नहीं है। यह व्यक्तिगत तो कब कहलाएगा? ऐसे आप यों ही बातचीत नहीं करते और आपको देखू तो मुझे अंदर उबाल आए, वह व्यक्तिगत। दूर रहकर काम हो, वह व्यक्तिगत नहीं कहलाता।
वह कहलाता है सामूहिक कर्मोदय प्रश्नकर्ता : अब इस जगत् में जो भूकंप होते हैं और ज्वालामुखी फटते हैं, वह सब कौन-सी शक्ति करती है?
दादाश्री : सारा व्यवस्थित शक्ति । व्यवस्थित शक्ति सबकुछ करती है। एविडेन्स खड़ा होना चाहिए। सब एविडेन्स इकट्ठे हुए या फिर ज़रा कुछ कच्चा रह गया हो न तो (बाकी का) थोड़ा-सा मिल गया कि फूटता है ज़ोर से।
प्रश्नकर्ता : यह तूफ़ान आँधी वगैरह व्यवस्थित भेजता है?
दादाश्री : तो और कौन भेजेगा? यह तूफ़ान तो पूरे मुंबई पर होता है, पर कुछ लोग ऐसा पूछते हैं, 'तूफ़ान आया है या नहीं?' ऐसा कहकर पूछते हैं अरे मुए, पूछ रहे हो? तब कहेंगे, 'हमने तो नहीं देखा अभी तक, हमारे यहाँ तो नहीं आया।' ऐसा है यह सब तो। तूफ़ान मुंबई में सभी को स्पर्श नहीं करता। किसीको एक प्रकार से स्पर्श करता है, किसीका पूरा ही मकान उड़ा देता है एकदम से, और किसीकी दरियाँ पड़ी हुई हों, तो उन्हें कुछ नहीं होता। सबकुछ पद्धतिपूर्वक काम कर रहे हैं। तूफ़ान आए उसका डर नहीं रखना है। सब व्यवस्थित भेजता है।
प्रश्नकर्ता : ये सारे भूकंप होते हैं, साइक्लोन आते है, लड़ाईयाँ होती हैं, वह सबकुछ हानि-वृद्धि के आधार पर नहीं है?
दादाश्री : नहीं, कर्म के उदय के आधार पर है, वह सब। सभी उदय भुगत रहे हैं। मनुष्यों की वृद्धि हो रही हो न तब भी भूकंप होते रहते हैं। यदि हानि-वृद्धि के अधीन हो तो नहीं होगा न?