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कर्म का विज्ञान जानवरगति में ले जाती है। योजना गढ़ता है न अंदर? नहीं गढ़ता? वे जानवरगति में ले जाती हैं।
इसमें भोगनेवाला कौन? प्रश्नकर्ता : अच्छे कर्म करे तो पुण्य बँधता है और बुरे कर्म करे तो पाप। ये पाप-पुण्य कौन भुगतता है, शरीर या आत्मा?
दादाश्री : ये पाप-पुण्य जो करता है, वह भुगतता है। कौन भुगतता है? अहंकार करता है और अहंकार भुगतता है। शरीर नहीं भुगतता और आत्मा भी नहीं भुगतता। यह अहंकार भुगतता है। शरीर सहित अहंकार होता है, तो शरीर सहित भुगतता है। शरीर के बिना किया हुआ अहंकार शरीर के बिना भुगतता है। सिर्फ मानसिक रूप से भुगतता है।
प्रश्नकर्ता : मृत्यु के बाद स्वर्ग या नर्क जैसा कुछ है क्या? दादाश्री : मृत्यु के बाद स्वर्ग और नर्क दोनों ही हैं।
प्रश्नकर्ता : यानी खराब कर्म किए हों तो नर्क में कौन जाता है? आत्मा जाता है?
दादाश्री : अरे आत्मा और शरीर दोनों साथ ही होंगे न! प्रश्नकर्ता : मर जाते हैं तब शरीर तो यहीं पर छूट जाता है न?
दादाश्री : वहाँ फिर नया शरीर बनता है। नर्क में अलग तरह का शरीर बनता है, वहाँ पारे (पारद) जैसा शरीर होता है।
प्रश्नकर्ता : वहाँ पर शरीर भुगतता है या आत्मा भुगतता है?
दादाश्री : अहंकार भुगतता है। जिसने किए हों न, नर्क के काम किए हों, वह भुगतता है।
हिटलर ने कैसे कर्म बाँधे? हिटलर ने इन लोगों को मारा, उसे उसका फल क्यों नहीं मिला?