Book Title: Karma Ka Vignan
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 60
________________ कर्म का विज्ञान सिर पर गिरे और खून निकले तो ? किस पर गुस्सा करेगा? प्रश्नकर्ता : किसीके ऊपर नहीं । ४७ दादाश्री : उसी तरह यह है । हमेशा ही जो मारनेवाला है न वह निमित्त ही है, यह तो भान नहीं है इसलिए गुस्सा करता है! इस तरह उसे निमित्त समझे तो दुःख ही नहीं है ! सुख देकर सुख लो जैसे हम बबूल उगाएँ और फिर उसमें से आम की आशा रखें तो नहीं चलेगा न? जैसा बोते हैं, वैसा फल मिलता है । जैसे-जैसे कर्म किए हैं, वैसा फल हमें भुगतना है । अभी किसीको गालियाँ दीं, उस दिन से गाली देनेवाला इस ताक में ही रहता है कि कब मिले और वापिस दे दूँ। लोग बदला लेते हैं, इसलिए ऐसे कर्म मत करना कि लोग दुःखी हों। आपको यदि सुख चाहिए तो सुख दो। I कोई दो गालियाँ दे जाए तो क्या करना चाहिए? जमा कर लेना पहले दी हैं, वे वापिस दे गया है और यदि पसंद हों तो दूसरी दो-पाँच गालियाँ देना, और नहीं पसंद हों तो उधार मत देना । नहीं तो वह वापिस देगा तब सहन नहीं होगा । इसलिए जो-जो दे, उसे जमा करना। इस दुनिया में अन्याय नहीं है । बिल्कुल एक सेकन्ड भी न्याय से बाहर नहीं गई है यह दुनिया । इसलिए आप यदि ठीक ढंग से रहोगे तो आपका कोई नाम लेनेवाला नहीं है । हाँ, दो गालियाँ देने आए, तो ले लो। लेकर जमा कर लो और कह दो कि यह हिसाब पूरा हो गया । क्लेश, वह नहीं है उदयकर्म 'समझ लिया' तो किसे कहते हैं, कि घर में मतभेद नहीं हों, मनभेद नहीं हों, क्लेश-झगड़े नहीं हों। यह तो महीने में एकाध दिन क्लेश हो जाता है या नहीं हो जाता घर में? फिर यह जीवन कैसे कहलाए ? इससे तो आदिवासी अच्छी तरह जीते हैं ।

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